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बिहार में प्राथमिक से लेकर प्लस टू तक के स्कूलों में करीब 2:50 लाख पद हैं खाली, शिक्षा विभाग ने मांगी सभी जिलों से रिक्तियां
- जे.पी.चन्द्रा की रिपोर्ट
बिहार नेशन: बिहार में शिक्षकों की बहाली को लेकर बनी नई नियमावली का जहाँ एक तरफ विरोध किया जा रहा है वहीं दूसरी तरफ नियमावली के आलोक में शिक्षा विभाग एक्शन में है। इसे लेकर सभी जिले को शिक्षा पदाधिकारी को आधिकारिक निर्देश भी जारी कर दिया गया है। सभी से जल्द से रिक्तियों की मांग की गई है।
सूत्रों के मुताबिक रिक्तियों की संख्या मार्च 2023 तक के आधार पर ली जायेगी। उम्मीद जतायी जा रही है कि मई तक हर हाल में नयी नियमावली तक विज्ञापन जारी हो जायेगा। इससे पहले विभाग सारी औपचारिकताएं पूरी करा लेना चाहता है।
बता दें कि यह रिक्तियां पंचायत और नगरीय निकाय से जुड़ी नौ हजार नियोजन इकाइयों से वापस मांगी जा रही हैं। जिलों से यह रिक्तियां भी विषयवार मांगी गयी हैं, ताकि रिक्तियों में स्पष्टता रहे। शिक्षा विभाग ने इस संदर्भ में औपचारिक पत्र जारी कर दिया गया है। सभी नियोजन इकाइयों से रिक्तियों की जानकारी शिक्षा विभाग लेगा। इसके बाद विभाग जिलावार रोस्टर क्लियरेंस कराया जायेगा। रिक्तियां रोस्टर क्लियरेंस के बाद आरक्षण कोटिवार अधियाचना आवश्यकतानुसार आयोग को भेजी जायेगी। तब आयोग रिक्तियां प्रकाशित करेगा।
मिली जानकारी के मुताबिक नियोजन इकाइयों से रिक्तियां लेकर शिक्षा विभाग उन्हें प्रशासी पद वर्ग को सरेंडर करेगा। प्रशासी पद वर्ग इकाई इन सभी पदों को विद्यालय अध्यापक के रूप में मान्यक करके शिक्षा विभाग को सुपुर्द कर देगा। रिक्तियों के अलावा शिक्षा विभाग उन पदों को भी सरेंडर करेगा, जो सृजित हैं। उन पर अभी तक नियोजन नहीं हुआ है। नियोजन इकाइयों से पद सरेंडर कराने के बाद उनके पंचायत और नगरीय निकायों के पास कोई पद नहीं रह जायेंगे।
फिलहाल प्राथमिक से लेकर प्लस टू विद्यालयों की रिक्तियों की अनुमानित संख्या सवा दो लाख से अधिक है। प्राथमिक में सृजित पदों की संख्या प्लस टू स्कूलों से अधिक है। वर्तमान में माध्यमिक में स्वीकृत शिक्षकों की संख्या 76648 है। इसमें से केवल 32455 पद ही अब तक भरे हैं। इसी तरह उच्च माध्यमिक में शिक्षकों के स्वीकृत कुल पदों की संख्या 101702 है। इसमें से केवल 11968 शिक्षक ही पढ़ा रहे हैं। इस तरह अकेले माध्यमिक और उच्च माध्यमिक में अब तक सृजित कुल पदों की संख्या 178350 है। इसकी तुलना में प्लस टू स्कूलों में कुल 44423 शिक्षक ही पढ़ा रहे हैं।
वहीं शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव दीपक कुमार सिंह का कहना है कि सभी स्कूलों की रिक्तियां मांगी गई है। जिसमें प्राइमरी से लेकर प्लस टू तक कि रिक्तियां शामिल हैं। विभाग इस दिशा में गंभीरता के साथ काम कर रहा है। वहीं नियोजन इकाइयों से सरेंडर पदों को संवर्ग में बदल दिया जाएगा ।
गौरतलब हो कि नई शिक्षा नियमावली का पूर्व के एस्टेट परीक्षा पास अभ्यर्थी विरोध कर रहे हैं । 2012 से संतोष सिंह STET की परीक्षा पास कर नौकरी के इंतजार में हैं। उनका कहना है कि अगर राज्य सरकार को BPSC से ही बहाली लेना था तो फिर इतना साल से इंतजार सभी को क्यों करवाया गया। क्या सरकार ने जो परीक्षा शिक्षक बनने के लिए ली है उसपर उन्हें भरोसा नहीं है? उन्होंने कहा कि वे इस नौकरी के इंतजार में अबतक अविवाहित हैं। इस बार नौकरी की आशा थी। लेकिन नीतीश सरकार ने BPSC से फिर परीक्षा लेने की नियमावली बनाकर एस्टेट छात्रों के साथ धोखा किया है। वहीं गोनपुरा, पटना के निवासी एवं शिक्षक पात्रता परीक्षा पास अभ्यर्थी मनीष कुमार का भी यही हाल है। वे भी इसबार बेसब्री से नौकरी होने का इंतजार कर रहे थे। लेकिन अब उनका भी कहना है कि सरकार केवल परीक्षा-परीक्षा कर समय बर्बाद करते जा रही है।