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औरंगाबाद: हत्या के एक मामले में दो दशक बाद कोर्ट ने सुनाई अभियुक्त को आजीवन कारावास की सजा

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जे.पी.चन्द्रा की रिपोर्ट

बिहार नेशन: औरंगाबाद व्यवहार न्यायालय के एडीजे बारहवें धनंजय कुमार मिश्रा ने हत्या के एक मामले में आठ वर्षों से जेल में बंद अभियुक्त अशोक राम को गुरुवार को आजीवन कारावास की सजा और 25 हजार रुपये का जुर्माना लगाया है। यह फैसला जज ने जिले के ओबरा थाना कांड संख्या 125/96 में दी। अभियुक्त मालवा गांव निवासी अशोक राम को सज़ा सुनाई गई। वहीं जज ने यह भी फैसला सुनाया कि अगर अभियुक्त जुर्माना नहीं देता है तो उसे एक वर्ष अतिरिक्त जेल में रहना होगा। साथ ही आर्म्स एक्ट के तहत भी सजा सुनाई गई है। हालांकि दोनों सजाएं एक साथ चलेगी।

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इस मामले में अधिवक्ता सतीश कुमार स्नेही ने बताया कि सरकार की ओर से एपीपी बबन प्रसाद एवं बचाव पक्ष से तिलक यादव ने भाग लिया। अधिवक्ता ने बताया कि इस वाद के सूचक मालवा गांव निवासी उमेश कुमार चौधरी है। जिसने प्राथमिकी में बताया है कि 11अक्टूबर 1996 को रात्रि 9 बजे समाजिक बैठक चल रही थी। इसी दौरान अभियुक्त अशोक राम देसी पिस्तौल लेकर आया और बिना कुछ बोले बड़े भाई शिव गोविंद चौधरी पर गोली चला दी जिससे वह गंभीर रूप से घायल हो गए। इसके बाद उनकी इलाज के क्रम में उपस्वास्थ्य केंद्र ओबरा में मृत्यु हो गई।

औरंगाबाद कोर्ट

आपको बता दें कि इस सामाजिक बैठक का कारण यह था की गांव की एक विवाहित महिला बिना कुछ बताए गांव छोड़ चली गई थी जिसे खोज बीन कर बड़े भाई वापस लाकर बैठक में डांट फटकार कर रहे थे। यह मामला अशोक राम को नागवार गुजरा और उसने हत्याकांड को अंजाम दिया। इस घटना के बाद से अभियुक्त फरार हो गया था।

हालांकि पुलिस ने उसके घर की कुर्की जब्ती भी की। वहीं अभियुक्त को 30 अगस्त 2014 को खुदवा थानाध्यक्ष ने गिरफ्तार कर लिया। जिसके बाद उसे कोर्ट में हाजिर किया गया । उसके बाद से ही वह अबतक जेल में बंद है। और अब इस मामले में उसे सजा सुनाई गई है।

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