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औरंगाबाद: कृषि विज्ञान केन्द्र, सिरिस के परिसर में पशु बाँझपन निवारण शिविर – सह – जागरूकता सेमिनार का किया गया आयोजन
जे.पी.चन्द्रा की रिपोर्ट
बिहार नेशन: आज ( 26 सितंबर 2023) को कृषि विज्ञान केन्द्र, सिरिस के परिसर में पशु बाँझपन निवारण शिविर – सह – जागरूकता सेमिनार का आयोजन किया गया। कार्यक्रम का आयोजन बिहार पशु विज्ञान विश्वविधालय, पटना एवं कृषि विज्ञान केन्द्र, सिरिस तथा पशु एवं मत्स्य संसाधन विभाग, पटना से संयुक्त तत्वाधान में किया गया।
कार्यक्रम का उद्द्घाटन कृषि विज्ञान केन्द्र, सिरिस के वरीय वैज्ञानिक एवं प्रधान डॉ विनय कुमार मण्डल, बिहार पशु विज्ञान विश्वविधालय के उप – निदेशक डॉ पंकज कुमार, मुखिया प्रतिनिधि कमलेश सिंह तथा पंचायत समिति सदस्य बलजीत कुमार ने संयुक्तरूप से किया।
इस जागरूकता सेमिनार को सम्बोधित करते हुए डॉ पंकज कुमार ने कहा की वर्तमान समय में दुधारू पशुओ में बाँझपन की समस्या बहुत बढ़ी है, बाँझपन को दूर करके ही दुग्ध उत्पादन को बढ़ाया जा सकता है। डॉ मण्डल ने बताया की किसानो के बिच जागरूकता के द्वारा ही समस्या से निजात पाया जा सकता है। बिहार पशु विज्ञान विश्वविधालय के वरीय वैज्ञानिक डॉ सरोज कुमार रजक ने पशुओं में कृमिनाशक दवा एवं टीकाकरण करने को अतिआवश्यक बताया।
कार्यक्रम को डॉ मृत्युंजय कुमार, डॉ चंद्रशेखर आजाद एवं डॉ निकिता सिंह ने भी कार्यक्रम में किसानो कोसम्बोधित किया। डॉ राजीव रंजन सिंह, भ्रमणशील पशु चिकित्सक पदाधिकारी, सिरिस ने कहा कि आज कल पशुओं में लम्पि बीमारी का प्रकोप अधिक बढ़ता जा रहा है यह विषाणु जनित बीमारी है इसमें पशुओं के को बुखार, दर्द, सूजन, भूख में कमी, तथा शरीर पर गाँठ बन जाते है। इसके बचाव हेतु चिकित्सीय सलाह दिए।
इस अवसर पर पशु बाँझपन शिविर एवं 120 पशुओ को चिकित्सीय परामर्श तथा दवा का निःशुल्क वितरण किया गय। शिविर में मुख्यतः पशुओं के गर्भधारण नहीं करना, हिट (मादा चक्र) में कमी, पेट के कीड़े, अढैया बुखार इत्यादि रोगो का उपचार किया गया। कार्यक्रम का संचालन एवं धन्यबाद ज्ञापन केन्द्र के शस्य वैज्ञानिक श्री पंकज कुमार सिन्हा ने किया साथ ही किसान भाइयो को बताया कि पशुओं को वर्ष भर हराचारा उत्पादन करके खिलाना चाहिए जिससे पशुओं का स्वस्थ ठीक रहे ।
कृषि मौसम वैज्ञानिक डॉ अनूप कुमार चौबे ने कहा कि फसल, सब्जी, पशु पालन, जीव जन्तु इस जलवायु परिवर्तन से प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से प्रभावित होते जा रहे हैं। प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से बढ़ते हुए तापमान, अनियमित मानसून, अत्यधिक ठंड, ओले, तेज हवा आदि पशुओं के स्वास्थ्य, शारीरिक वृद्धि और दुग्ध उत्पादकता को प्रभावित करते हैं। मौसम में तनाव के कारण डेयरी पशुओं की प्रजनन क्षमता कम हो रही है।