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मदनपुर प्रखंड के मनिका पंचायत अंतर्गत वार्ड संख्या-09 में सूखे की राशि नहीं मिलने से किसानों में घोर निराशा
जे.पी.चन्द्रा की रिपोर्ट
बिहार नेशन: बिहार के औरंगाबाद जिले के मदनपुर प्रखंड अंतर्गत सूखे की राशि मनिका पंचायत के महुँआइन गांव के वार्ड नंबर -09 में बहुत से किसानों को नहीं मिलने से घोर निराशा एवं उनमें आक्रोश है। इस वार्ड के किसानों का कहना है कि उनलोगों ने सबकुछ प्रक्रिया के लिए जरूरी कागजात दिए हैं लेकिन उनके खाते में सूखे की राशि नहीं आई है। उनलोगों ने मेहनत और पूंजी लगाकर अपनी फसल की थी। लेकिन समय पर वर्षा नहीं होने से सबकुछ बर्बाद हो गया ।
वहीं इस वार्ड के वार्ड सदस्य प्रतिनिधि सुभाष कुमार ने बताया कि उन्होंने सूखे की राशि अपने वार्ड के किसानों को दिलाने के लिए लगभग 200 फॉर्म जमा किया था। लेकिन मात्र 49 फॉर्म की इंट्री की गई । ऐसे में उनके पास अपने वार्ड की अन्य जनता को जवाब देने के लिए कुछ नहीं है। वे प्रयास में जुटे हैं ताकि सभी किसानों को सूखे की राशि मिल जाए।
वहीं लोजपा नेता एवं रफीगंज विधानसभा क्षेत्र से प्रत्याशी रहे प्रमोद कुमार सिंह के नेतृत्व में लोगों की समस्याओं को देखने वाले इसी गांव के वार्ड के समाजसेवी सुनील कुमार सिंह ने बताया कि किसानों को अगर सूखे की राशि नहीं मिलेगी तो उनका मनोबल टूट जाएगा। वे अगली बार से कृषि कार्य करने से बचने का प्रयास करेंगे। इसलिए किसानों को सूखे की राशि मिलनी चाहिए । इसके लिए उनके नेता प्रमोद सिंह भी लगातार प्रयास कर रहे हैं ताकि इस विधानसभा क्षेत्र के लोगों को सूखे की राशि मिल जाए। बता दें कि सूखे की राशि के रूप में किसानों को राज्य सरकार द्वारा 3500 रुपये की राशि दी जा रही है।
इस दौरान मीडिया से बात करते हुए किसानों में अवधेश सिंह, रणवीर सिंह, अरूण कुमार सिंह, गिरजा यादव, रामनारायण राम, चन्देश्वर यादव, अश्विनी कुमार, प्रमोद शर्मा समेत सैकड़ों किसानों ने इसकी शिकायत की।
आपको बता दें कि बिहार में मॉनसून की स्थिति ठीक नहीं रहने के कारण किसानों के मंसूबे पर पानी फिर गया। किसानों का अगर देखा जाय तो मुख्य स्रोत कृषि कार्य ही होता है। वे अपनी कड़ी मेहनत और पूंजी लगाकर कृषि कार्य करते हैं। लेकिन उन्हें तब निराशा होती है जब मॉनसून की स्थिति ठीक नहीं रहती है। समय पर किसानों के फसलों को वर्षा का पानी नहीं मिल पाता है। क्योंकि राज्य में सभी जगह पर सिंचाई के लिए नलकूप या बोरिंग की व्यवस्था नहीं है। उनके पास सिंचाई के साधन नहीं है।