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Jitiya Vrat 2023: जानिए, कब है जितिया व्रत का सही शुभ-मुहूर्त एवं कैसे करें इसकी पूजा

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जे.पी.चन्द्रा की रिपोर्ट 

बिहार नेशन: छह अक्तूबर यानी शुक्रवार को माताएं जिउतिया व्रत रखेंगी। यह व्रत माताएं संतान के दीर्घायु की कामना के लिए करती हैं। जिउतिया व्रत नहाय-खाय के साथ आरंभ होगा। कई पंचांग के अनुसार शुक्रवार को अष्टमी तिथि सुबह 9 बजकर 25 मिनट से शुरू होकर शनिवार सात अक्तूबर की सुबह 10 बजकर 21 मिनट तक रहेगा।

आपको बता दें कि महिलाएं अखंड सौभाग्य, पुत्रों की मंगल कामना, दीर्घायुष्य व वंश वृद्धि के लिए जीवित्पुत्रिका (जिउतिया) का निर्जला व्रत करती हैं। इस दिन कुश से जीमूतवाहन की मूर्ति बनाकर उनकी पूजा माता लक्ष्मी व मां दुर्गा के साथ की जाती है। माताएं ब्राह्मण या योग्य पंडित से जीमूतवाहन की कथा सुनती हैं उनको दक्षिणा प्रदान करती हैं। इस दिन गंगा सहित अन्य पवित्र नदियों में स्नान करने के बाद मड़ुआ रोटी, नोनी का साग, कंदा, झिगनी, करमी आदि का सेवन करेंगी। व्रती स्नान-भोजन के बाद पितरों की भी पूजा करेंगी। इस महाव्रत का पारण व्रती महिलाएं केराव से करेंगी। इस व्रत के पारण से पूर्व अन्न का दान करने से विपन्नता का नाश व धन-धान्य की वृद्धि होती है।

जितिया व्रत तीन दिन होता है, इसलिए नहाय खाय से पारण तक पूरे तीन दिनों के लिए नियम मानने चाहिए। पहले दिन नहाय-खाय और दूसरे दिन निर्जला व्रत रखा जाता है। इसलिए तीसरे दिन ब्रह्ममुहूर्त में उठकर स्नानादि करने और पूजा-पाठ करने के बाद ही व्रत का पारण करें। इस दिन भगवान सूर्य देव की भी पूजा की जाती है।

महिलाओं को श्रद्धा और विश्वास के साथ गंधर्व राजकुमार जीमूतवाहन की कुश से निर्मित मूर्ति की पूजा करनी चाहिए। जितिया व्रत में चील और सियार की गोबर से मूर्ति बनाकर उनकी विशेष रूप से पूजा करने का विधान है। जितिया व्रत में पूजा के दौरान विशेष रूप से सरसों का तेल और खली चढ़ाई जाती है।

जीवित्पुत्रिका व्रत या जितिया व्रत अष्टमी तिथि 06 अक्टूबर को सुबह 06 बजकर 34 मिनट से प्रारंभ होगी और 07 अक्टूबर को सुबह 08 बजकर 08 मिनट पर समाप्त होगी। इसलिए 7 अक्तूबर दिन शनिवार को अष्टमी तिथि की समाप्ति के बाद ही व्रती पारण करेंगी।

• संतान की दीर्घायुष्य के लिए 28 घंटे का निर्जला जितिया व्रत रखेंगी महिलाएं

• छह अक्तूबर को व्रत और सात की सुबह 10 बजकर 32 मिनट के बाद होगा पारण

• जितिया व्रत : 28 घंटे (प्रदोष एवं चंद्रोदय व्यापिनी अष्टमी में)

• सरगही या ओठगन : 5 अक्तूबर

• जिउतिया व्रत- उपवास : 6 अक्तूबर

• पारण : 7 अक्तूबर की सुबह 10:32 बजे के बाद

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