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नीतीश सरकार ने दिया अब मुखियाजी को एक और झटका, पंचायतों में नहीं चलेगी मनमानी, हर कार्य के लिए होगा टेंडर, बना दिया नया नियम…

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जे.पी.चन्द्रा की रिपोर्ट

बिहार नेशन: बिहार में पंचायतराज का गठन होने के बाद से पंचायत प्रतिनिधियों को कई अधिकार राज्य सरकार द्वारा दिये गये । लेकिन अब पंचायत के प्रतिनिधियों पर भी नकेल कसने की तैयारी की जा रही है। दरअसल अब जो खबर आ रही है उसके मुताबिक पंचायत में मुखिया जी की मनमानी अब नहीं चलेगी।
पहले बिहार सरकार ने कहा की मुखिया को सरपंच के समक्ष रिपोर्ट प्रस्तुत करना होगा। तो बाद में फैसला लिया गया कि अगर कोई मुखिया 30 दिन तक गायब रहते हैं तो उप मुखिया को मुखिया बना दिया जाएगा। अब बिहार सरकार में एक और नया फैसला लेकर चौंका दिया है। इस फैसले का भी विरोध मुखिया संघ द्वारा होना लगभग तय है।

आपको बता दें कि अब त्रि-स्तरीय ग्राम पंचायतों द्वारा कराए जाने वाले सभी विकास कार्य अब टेंडर से होंगे। मुखियाजी अपनी मर्जी से किसी को काम आवंटित नहीं कर पाएंगे। हर कार्य के लिए टेंडर जारी होगा और जो सबसे कम पैसे में काम कराएगा, उन्हें ही उसकी जिम्मेदारी मिलेगी। पहली बार यह व्यवस्था बनाई जा रही है। इसको लेकर पंचायती राज विभाग ने कार्य कोड बनाया है। कार्य कोड पर वित्त विभाग की सहमति मिल गई है। जल्द ही इसपर कैबिनेट की स्वीकृति ली जाएगी।

कैबिनेट की मंजूरी मिलते ही इसे राज्य में लागू कर दिया जाएगा। पंचायत कार्य कोड लागू होने के बाद ग्राम पंचायत, पंचायत समिति तथा जिला परिषद बिना टेंडर कार्य नहीं करा पाएंगे। इस तरह मुखिया समेत कोई भी जनप्रतिनिधि अपने मन से किसी से काम नहीं करा पाएंगे। वर्तमान व्यवस्था में विभागीय अनुमति से सारे कार्य होते हैं। इसमें सरकारी कर्मी एजेंसी के रूप में नामित होते हैं। मुखिया व संबंधित स्तर के कर्मी-पदाधिकारी संयुक्त रूप से इस कार्य को तय करते हैं। इसमें टेंडर की बाध्यता नहीं है। हालांकि 15 लाख से ऊपर के काम के लिए टेंडर जारी करने का नियम है, पर यह प्रभावी रूप से लागू नहीं हो पाता है। बता दें कि एक ग्राम पंचायत को औसतन साल में 50 लाख रुपये विकास कार्यों के लिए मिलते हैं। वहीं, पंचायत समिति और जिला परिषद को इससे कुछ अधिक राशि जाती है।

वहीं नए नियम में यह तय किया जा रहा है कि विशेष परिस्थिति में साल में तीन काम पंचायत या जिला परिषद बिना टेंडर के करा सकते हैं। इन तीनों की लागत 25 लाख रुपये से अधिक नहीं होनी चाहिए। इनमें भी पंचायत के स्तर के काम होंगे तो प्रखंड के पदाधिकारी से अनुमति अनिवार्य होगी। प्रखंड के कार्य को जिला स्तर से अनुमति लेनी होगी। विशेष परिस्थिति में प्राकृतिक आपदा आदि मामले हो सकते हैं।

गौरतलब हो कि अभी पंचायतों में मुखिया समेत अन्य प्रतिनिधियों द्वारा सड़क निर्माण, खेल मैदान, चहारदीवारी, नाली का निर्माण, तालाबों का जीर्णोद्धार, मिट्टी भराई, कचरा प्रबंधन, सोलर स्ट्रीट लाइट लगाना आदि का निर्माण कराया जाता है। अब ये सारे काम पंचायती राज विभाग और मुखिया जी की देखरेख में टेंडर की प्रक्रिया से कराए जाएंगे।

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