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नीतीश सरकार ने जारी किया जातीय गणना के आंकड़े, जानिए बिहार में किस जाति और धर्म की है कितनी आबादी
जे.पी.चन्द्रा की रिपोर्ट
बिहार नेशन: बिहार में जातिगत सर्वे के आंकड़े जारी हो गए हैं। बिहार के मुख्य सचिव ने 2 अक्टूबर को बिहार जाति आधारित गणना 2022 की पुस्तिका का विमोचन किया। इस पुस्तक के माध्यम से राज्य की जातिगत गणना के आंकड़े सार्वजनिक कर दिए गए हैं। दरअसल बिहार में नीतीश कुमार की सरकार ने जाति जनगणना के आंकड़े जारी कर दिए हैं। इन आंकड़ों में अत्यंत पिछड़ा वर्ग और अन्य पिछड़ा वर्ग की आबादी कुल मिलाकर 63 फीसदी है, जो सबसे बड़ा सामाजिक समूह है। इस सर्वे के आधार पर बिहार सरकार ने ब्राह्मण, भूमिहार, यादव, राजपूत, मुसहर समेत सभी जातियों की आबादी बता दी है।
यही नहीं इस बीच यह जानकारी भी सामने आई है कि धार्मिक आधार पर किसकी कितनी संख्या है। सर्वे के मुताबिक राज्य में सबसे ज्यादा 81.99 फीसदी (107192958 हिंदू हैं, जबकि मुसलमानों की संख्या 17.70 फीसदी यानी 2,31,49,925 है। तीसरे नंबर पर ईसाई हैं और चौथे स्थान पर सिख हैं।
हिन्दू – 81.99% मुसलमान – 17.70%
ईसाई- 0.05%
सिख- 0.011%
बौद्ध- 0.0851%
जैन- 0.0096%
अन्य धर्म- 0.1274%
जाति जनगणना की यह रिपोर्ट बिहार में सियासी परिदृश्य को पूरी तरह से बदल सकती है। जेडीयू नेता केसी त्यागी ने कहा कि इस बात की जानकारी तो अब पूरे देश में फैलानी चाहिए। चुनाव से पहले यही एजेंडा होना चाहिए और देश भर में आंदोलन खड़ा हो ताकि राष्ट्रव्यापी जातीय जनगणना हो सके।
आपको बता दें कि इस रिपोर्ट में सबसे ज्यादा संख्या यादव बिरादरी की पाई गई है, जो 14 फीसदी हैं। इसके अलावा राजपूतों की संख्या 3.45 फीसदी है और ब्राह्मण 3.65 पर्सेंट हैं। कुर्मी समाज की संख्या 2.87 फीसदी है और कोरी बिरादरी की आबादी 4.27 पर्सेंट है। अब अनुसूचित जाति की बात करें तो उनकी संख्या 19 फीसदी के करीब है और इसमें भी सबसे ज्यादा संख्या मोची, चमार और रविदास की है, जो 5.2 फीसदी हैं।
वहीं इसे लेकर सीएम नीतीश कुमार ने ट्वीट किया है।
बिहार के सीएम नीतीश कुमार ने ट्वीट किया कि ‘आज गांधी जयंती के शुभ अवसर पर बिहार में कराई गई जाति आधारित गणना के आंकड़े प्रकाशित कर दिए गए हैं। जाति आधारित गणना के कार्य में लगी हुई पूरी टीम को बहुत-बहुत बधाई। जाति आधारित गणना के लिए सर्वसम्मति से विधानमंडल में प्रस्ताव पारित किया गया था। बिहार विधानसभा के सभी 9 दलों की सहमति से निर्णय लिया गया था कि राज्य सरकार अपने संसाधनों से जाति आधारित गणना कराएगी एवं दिनांक 02-06-2022 को मंत्रिपरिषद से इसकी स्वीकृति दी गई थी। इसके आधार पर राज्य सरकार ने अपने संसाधनों से जाति आधारित गणना कराई है। जाति आधारित गणना से न सिर्फ जातियों के बारे में पता चला है बल्कि सभी की आर्थिक स्थिति की जानकारी भी मिली है। इसी के आधार पर सभी वर्गों के विकास एवं उत्थान के लिए अग्रेतर कार्रवाई की जाएगी। बिहार में कराई गई जाति आधारित गणना को लेकर शीघ्र ही बिहार विधानसभा के उन्हीं 9 दलों की बैठक बुलाई जाएगी तथा जाति आधारित गणना के परिणामों से उन्हें अवगत कराया जाएगा।