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जे.पी.चन्द्रा की रिपोर्ट
बिहार नेशन: पटना हाईकोर्ट ने बड़े पैमाने पर फर्जी डिग्री पर बहाल हुए शिक्षकों के मामले में सुनवाई की। कोर्ट ने निगरानी विभाग को एकबार फिर से आदेश दिया और कहा कि गायब हुए शिक्षकों के नियुक्ति से संबंधित फोल्डर को वह तीन महीने के अंदर जमा करे। बता दें कि फिलहाल 75 हजार ऐसे शिक्षकों के फोल्डर नहीं मिल रहे हैं । जबकि कई बार कोर्ट ने नियुक्ति से सबंधित ऐसे फोल्डर जमा करने के आदेश दे चुका है। लेकिन इसको लेकर राज्य सरकार को हर बार मोहलत मिल रही है। लेकिन, इसके बाबजूद यह फाइल कहां है इस बात की जानकारी नहीं मिल पा रही है।

एकबार फिर पटना हाइकोर्ट के चीफ जस्टिस केवी चन्द्रन की खंडपीठ ने सुनवाई करते हुए, इस मामले की जांच का जिम्मा निगरानी विभाग को सौंपते हुए तीन महीने के अंदर यह फाइल उपलब्ध कराने को कहा।
जबकि पिछली सुनवाई में कोर्ट ने राज्य सरकार को निर्देश दिया था कि वह एक समय सीमा निर्धारित करें,जिसके तहत सभी सम्बंधित शिक्षक अपना डिग्री व अन्य कागजात प्रस्तुत करें।

कोर्ट ने स्पष्ट किया कि निर्धारित समय के भीतर कागजात व रिकॉर्ड प्रस्तुत नहीं करने वाले शिक्षकों के विरुद्ध कार्रवाई की जाए। पूर्व की सुनवाई में कोर्ट ने राज्य सरकार से कार्रवाई रिपोर्ट तलब किया था। याचिकाकर्ता के अधिवक्ता दीनू कुमार ने कोर्ट को बताया कि बड़ी संख्या में जाली डिग्रियों के आधार पर शिक्षक राज्य में काम कर रहे हैं।साथ ही वे वेतन उठा रहे है।
कोर्ट ने मामलें को निगरानी विभाग को जांच के लिए सौंपा था।उन्हें इस तरह के शिक्षकों को ढूंढ निकालने का निर्देश दिया। 31जनवरी 2020 के सुनवाई दौरान निगरानी विभाग ने कोर्ट को जानकारी दी कि राज्य सरकार द्वारा इनके सम्बंधित रिकॉर्ड की जांच कर रही है,लेकिन अभी भी एक लाख दस हजार से अधिक शिक्षकों के रिकॉर्ड उपलब्ध नहीं है।इसके साथ ही निगरानी विभाग ने 1316 शिक्षक बिना वैध डिग्री के नियुक्त किये जाने की रिपोर्ट भी कोर्ट को सौंपी । कोर्ट ने इस मामले को काफी गम्भीरता से लिया और सम्बंधित विभागीय सचिव से हलफनामा दायर कर स्थिति का ब्यौरा देने का निर्देश दिया था। इस मामले पर अगली सुनवाई 7 अगस्त 2023 को की जाएगी।
गौरतलब हो कि बिहार में बड़े पैमाने पर फर्जी शिक्षकों की बहाली हुई है । जिसे लेकर हरबार मामला सामने आता है और ऐसे फर्जी शिक्षकों पर कारवाई के लिए हाईकोर्ट में कई याचिका भी दायर की गई है। जबकि पटना हाईकोर्ट ने 2014 के एक आदेश में कहा था कि जो इस तरह की जाली डिग्री के आधार पर राज्य सरकार के तहत शिक्षक हैं, उन्हें ये अवसर दिया जाता है कि वे खुद अपना इस्तीफा दे दें, तो उनके विरुद्ध कार्रवाई नहीं की जाएगी। वहीं कोर्ट के इस आदेश के बाद बड़ी संख्या में फर्जी शिक्षकों ने अपना इस्तीफा दे दिया था! लेकिन अभी भी इस तरह से बहाल फर्जी शिक्षक बहुत हैं।