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राजद प्रवक्ता डॉ रमेश यादव ने फिर की डॉ संतोष कुमार पर कार्रवाई की मांग, कहा- डॉ की लापरवाही से ही हुई है मनीष की मौत
जे.पी.चन्द्रा की रिपोर्ट
बिहार नेशन: औरंगाबाद में राजद के जिला प्रवक्ता डॉ रमेश यादव के 22 वर्षीय भतीजा मनीष कुमार की मौत का मामला लगातार तूल पकड़ता जा रहा है। राजद नेताओं द्वारा लगातार इस मामले में आरोपी चिकित्सक संतोष कुमार पर कारवाई की मांग की जा रही है। इतना ही नहीं बीते दिनों (शुक्रवार) औरंगाबाद जिले के दौरे पर आए जिले के प्रभारी मंत्री एवं राजस्व-भूमि सुधार मंत्री डॉ आलोक कुमार मेहता करीब नौ बजे राजद जिला प्रवक्ता डॉ रमेश यादव के घर गंगटी भी पहुंचे। वहाँ पहुंचकर उन्होंने पीड़ित परिजनों से मुलाक़ात की और उन्हें ढांढस बंधाया। साथ ही चिकित्सक पर कानूनी कार्रवाई के लिए जिलाधिकारी को निर्देश भी दिया।
गौरतलब हो कि जिले के राजद प्रवक्ता डॉ रमेश यादव का आरोप है कि उसके भतीजे की मौत निजी क्लीनिक में चिकित्सक संतोष कुमार द्वारा गलत इलाज करने के कारण हुई है। उन्होंने इस मामले में थाने में एफआईआर भी दर्ज कारवाई है। बता दें कि 22 वर्षीय मृतक मनीष कुमार मेडिकल की तैयारी करता था। वह हल्के बुखार में अपनी मां के साथ बुलेट चलाकर डॉक्टर संतोष कुमार के निजी क्लीनिक में गया था। जहाँ से स्थिति बिगड़ने पर डॉक्टर ने रेफर कर दिया । फिर परिजन उसे सदर अस्पताल लेकर गये। लेकिन वहाँ से भी स्थिति की गंभीरता को देखते हुए चिकित्सकों द्वारा रेफर कर दिया गया । जिसके बाद परिजनों द्वारा उसे नारायणा मेडिकल कॉलेज जमुहार ले जाया गया। जहाँ उसकी मौत हो गई।
मालूम हो कि इस मामले में राजद का शिष्टमंडल भी डीएम सुहर्ष भगत से मिलकर उचित कारवाई के लिए आवेदन दे चुका है। शिष्टमंडल ने इस दौरान जिलाधिकारी से एक आवेदन देकर कहा है कि छात्र मनीष की मौत डॉ संतोष कुमार की लापरवाही एवं गलत इलाज के कारण हुई है। इस मामले में सभी ने उचित कारवाई की मांग की। ताकि भविष्य में किसी और मरीज की इस तरह से गलत इलाज के कारण मौत न हो। शिष्टमंडल ने चिकित्सक पर कार्रवाई एवं उनका निबंधन रद्द करने की मांग के साथ गिरफ्तारी की भी मांग जिला प्रशासन से की है।
लेकिन यहाँ एक सबसे बड़ा सवाल यह उत्पन्न होता है कि आखिर जिले के राजद प्रवक्ता लगातार चिकित्सक संतोष को ही इस मौत के लिए दोषी क्यों ठहरा रहे हैं। दरअसल इस मामले में राजद नेता का कहना है कि उनका भतीजा उतना सीरियस था ही नहीं । अगर वह इतना सीरियस होता तो खुद बुलेट चलाकर अपनी मां के साथ उनके क्लीनिक जा सकता था ? जिला प्रशासन शहर में और चिकित्सक के यहाँ लगे सीसीटीवी कैमरे से जांच कर सकती है। यह भी बता दें कि चिकित्सक मामला दर्ज होने के बाद से फरार बताया जा रहा है।
खैर कई चिकित्सकों पर लापरवाही से इलाज़ करने के आरोप हमेशा से मृतक के परिजनों द्वारा हमेशा लगते भी रहे हैं । और कई मामले में यह साबित भी हो चुकी है। यह बात अलग है कि इस तरह के मामले कई बार दब जाते हैं या उपर तक पहुंच नहीं होने के कारण दबा दिये जाते हैं । परंतु अगर यह मामला वाकई चिकित्सक के लापरवाही का है तो इसकी जिला प्रशासन द्वारा जांच होनी चाहिए ताकि मृतक के परिजनों को इंसाफ मिल सके।