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विशेष रिपोर्ट: क्या फिर से NDA के सियासी समीकरण 2015 जैसे हो जाएंगे? मांझी करेंगे बीजेपी की नैया पार. . .

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जे.पी.चन्द्रा की रिपोर्ट

बिहार नेशन: बिहार में दिनों दिन राजनीतिक सरगर्मी तेज होते जा रही है। हालांकि अभी लोकसभा चुनाव 2024 में देरी है। फिर भी लोकसभा चुनाव के पूर्व ही सभी राजनीतिक दल इधर-उधर अपनी-अपनी पार्टी के सीट की जुगाड़ में जाने लगे हैं। बिहार में नीतीश कैबिनेट से जीतनराम मांझी के बेटे हम के अध्यक्ष संतोष सुमन के मंत्रिमंडल से इस्तीफे के बाद नये सियासी समीकरण बन रहे हैं। कयास लगाए जा रहे हैं कि एक बार फिर 2015 की तरह मांझी एनडीए में शामिल हो जाएंगे।

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अब सवाल ये उठता है कि क्या बिहार में एनडीए की नैया को मांझी के रूप में खेवनहार मिल गया है। 2023 में बिहार में राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन यानि एनडीए का स्वरूप 2015 के विधानसभा चुनाव की तरह बनता दिख रहा है। बात 2015 की करें तो उस समय विधानसभा चुनाव में बीजेपी के साथ रामविलास पासवान की एलजेपी, उपेंद्र कुशवाहा की रालोसपा जीतनराम मांझी की पार्टी हम साथ में थी।

मंगलवार को एससी-एसटी कल्याण मंत्री डॉक्टर संतोष सुमन के इस्तीफे के बाद कयास लगाए जा रहे हैं कि जीतन राम मांझी जल्द ही एनडीए का दामन थाम सकते हैं। वहीं, कुशवाहा की बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा से मुलाकात चिराग पासवान को पीएम मोदी का हनुमान बताना उनके प्रति हमेशा निष्ठा बनाए रखना। साथ ही चाचा पशुपति पारस पहले से ही एनडीए के हिस्सा हैं केंद्र सरकार में मंत्री। इन लोगों के एनडीए में शामिल होने के साथ ही बिहार में 2015 के विधानसभा जैसा सियासी समीकरण दोबारा बनता दिख रहा है। इस बात के संकेत मांझी के अटैकिंग बयानों से लगाये जा सकते हैं। महागठबंधन से अलग होने के बाद वे लगातार शराब नीति बालू नीति को लेकर नीतीश सरकार पर हमलावर हैं तो मांझी के ये बोल बीजेपी को भी खूब पसंद आ रहे हैं।

वहीं 23 जून को होने वाली विपक्षी पार्टियों की बैठक से पहले उनका साथ छोड़ना महागठबंधन के नेताओं को रास नहीं आ रहा। एक ओर मांझी के फैसले से महागठबंधन के नेता उनपर हमलावर हैं तो वहीं दूसरी तरफ मांझी के बेटे यानी संतोष सुमन ने जेडीयू अध्यक्ष ललन सिंह को सामंतवादी बता दिया।

बहरहाल, जीतनराम मांझी उनके बेटे संतोष सुमन के तेवर महागठबंधन के खिलाफ लगातार तल्ख होते जा रहे हैं। ऐसे में एनडीए के लिए 2015 जैसे बन रहे सियासी समीकरण के कयास लगाना लाजमी है।

खैर सीएम नीतीश कुमार आज अपने मंत्रिमंडल का भी विस्तार कर रहे हैं । इसमें मांझी के तोड़ को भी खोज लिया गया है। साथ चर्चा है कि उन्हें मंत्री भी बनाया जाएगा। वहीं मांझी के बाद माले के राष्ट्रीय महासचिव दीपांकर भट्टाचार्य ने भी शिक्षकों के मामले में मोर्चा खोल रखा है। जिससे नीतीश सरकार की परेशानी बढ़ सकती है।

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