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दिल्ली में आयोजित लोजपा(रा.) की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक से लौटे प्रदेश महासचिव मनोज सिंह ने कहा- बिहार में चरमरा गई है कानून व्यवस्था
जे.पी.चन्द्रा की रिपोर्ट
बिहार नेशन: दिल्ली के कांस्टीट्यूशन क्लब में मंगलवार को आयोजित लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) की राष्ट्रीय परिषद की बैठक से भाग लेकर लौटे लोजपा, रामविलास के बिहार प्रदेश महासचिव सह रफीगंज विधानसभा से पूर्व में प्रत्याशी रहे मनोज सिंह ने नीतीश सरकार पर जमकर निशाना साधा और कई आरोप लगाए।

लोजपा, रामविलास नेता मनोज सिंह ने कहा कि बिहार में स्थिति कानून व्यवस्था की भयावह हो गई है। सरेआम लूटपाट और हत्या की घटनाएं घट रही है। लेकिन प्रदेश की सरकार सोई हुई है। उन्होंने कहा कि दिल्ली में आयोजित राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में पार्टी की तरफ से पांच प्रस्ताव पारित किये गए हैं। जिन्हें उपस्थित सदस्यों ने ध्वनि-मत से पारित किया। बैठक में पार्टी के नेताओं का माननीय चिराग पासवान जी ने काफी उत्साह बढ़ाया।

लोजपा नेता मनोज सिंह ने आगे बताया कि राष्ट्रीय परिषद की बैठक में कई प्रस्ताव पारित किये गये हैं जिसमें . .दलितों के महान नेता पद्मभूषण श्री रामविलास पासवान जी की याद में बिहार की राजधानी पटना में उनकी आदमकद प्रतिमा, पुस्तकालय एवं दलित विश्वविद्यालय की स्थापना एवं उन्हें भारत रत्न की उपाधि देकर सम्मानित किये जाने का प्रस्ताव रखा गया है।
वहीं हाल के दिनों में दलितों और अल्पसंख्यकों को टारगेट करने और उन्हें जान से मारने की घटनाओं में भारी बढ़ोतरी हुई है। पार्टी केंद्र सरकार से इन मामलों का राष्ट्रीय स्तर पर संज्ञान लिए जाने की भी मांग की है। तीसरी -बिहार में कानून व्यवस्था पूरी तरह चरमरा गई है और यहां अराजक तत्वों का राज कायम हो गया है।आम जनता की कौन कहे पुलिस तक भयभीत है, जबकि अपराधी भयमुक्त होकर खुलेआम घूम रहे हैं। बिहार सरकार कानून व्यवस्था को सुदृढ करे। बिहार के बाहर बिहारियों के जानमाल की सुरक्षा सुनिश्चित करे केंद्र और राज्य सरकार। चौथा – बिहार के बाहर जाकर छोटी-मोटी नौकरी करने वाले बिहारी मजदूरों पर अन्य प्रदेशों में हो रहे हमलों पर पार्टी गहरी चिंता व्यक्त करती है और केंद्र व राज्य सरकारों से यह मांग करती है कि वह बिहार के लोगों के जानमाल की सुरक्षा सुनिश्चित करे। एवं पांचवा प्रस्ताव यह पारित किया गया कि, वर्तमान समय में बिहार में शराब से संबंधित मामलों में तीन से चार लाख कैदी विभिन्न जेलों में बंद हैं। इनमें से ज्यादातर दलित वर्ग से आते हैं। विचाराधीन कैदियों के मामलों का निपटारा जल्द से जल्द किया जाए।