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जे.पी.चन्द्रा की रिपोर्ट
बिहार नेशन: बिहार में वित्त मंत्री विजय कुमार चौधरी ने वित्तीय वर्ष 2023-24 के लिए 261885 करोड़ रुपये का बजट पेश किया। इस बजट की सराहना करते हुए सीएम नीतीश कुमार ने कहा कि यह बजट बिहार को विकास के पथ पर ले जाएगा। बजट में युवाओं और रोजगार पर विशेष ध्यान दिया गया है। लेकिन इस बजट को लेकर तमाम विपक्षी पार्टियों के नेताओं के द्वारा भी प्रतिक्रिया सामने आ रही है। लोजपा, रामविलास पार्टी के बिहार प्रदेश महासचिव सह रफीगंज विधानसभा के प्रत्याशी रहे मनोज कुमार सिंह ने इस बजट को बेहद निराशाजनक बताया। उन्होंने कहा कि इस बार भी लोगों को गुमराह करने की कोशिश की गयी है।
लोक जनशक्ति पार्टी रामविलास के बिहार प्रदेश महासचिव मनोज सिंह ने बिहार विधान मंडल में मंगलवार को प्रस्तुत महागठबंधन सरकार के पहले बजट को निराशाजनक बताते हुए कहा कि बजट में ऐसा कुछ भी उपयोगी बातें नहीं है जिसमें बिहारवासियों की उम्मीद जगे।
उन्होंने कहा कि जो योजना, कार्यक्रम चल रहे हैं उसके लिए बजट आवंटन कर लोगों को कुछ बड़ा करने की झूठी दिलासा दी गई है। साथ ही लोगों को गुमराह करने की भी कोशिश की गई है। बिहार कृषि प्रधान राज्य है। लेकिन यहां किसानों की मूल समस्याओं को दूर करने की कोई घोषणा नहीं है। रोजगार शिक्षा स्वास्थ्य जैसे गंभीर विषय पर हवा हवाई घोषणा की गई है।उन्होंने कहा कि बजट में समाज के कमजोर वर्ग के हित की पूरी तरह अनदेखी की गई है।
मनोज सिंह ने कहा कि इस बजट को देखकर ऐसा लगता है महागठबंधन चुनाव में उतरने जा रही है उन्होंने कहा कि पहले 20 लाख रोजगार एवं नौकरी देने की घोषणा की गई थी लेकिन आज के बजट में 10 लाख रोजगार की बात कही गई है इससे यह पता चलता है कि यह सरकार रोजगार के नाम पर युवाओं को ठग रही है। स्कूलों में ना तो सही से पढ़ाई हो रही है और ना ही बच्चे को सुविधा दी जा रही है। यही हाल अस्पतालों का है। शिक्षकों एवं डॉक्टरों के काफी पद खाली पड़े हैं इसकी चिंता और निवारण बजट में नहीं दिखती है।
आंगनबाड़ी सेविका सहायिका नियोजित शिक्षक अपनी मांगों को लेकर लंबे समय से संघर्षरत है। किंतु इसपर भी कोई प्रावधान की घोषणा नहीं हुई है। उन्होंने इस बात पर हैरानी प्रकट किया है कि बिना कर बढाए राजस्व में बढ़ोतरी का दावा हास्यास्पद लगता है।सरकार को प्रति माह कार्यों का श्वेत पत्र जारी करना चाहिए। इस बजट से बिहार वासियों को सिर्फ निराशा के अलावे कुछ भी हासिल नहीं होगा।
मनोज कुमार सिंह ने अति पिछड़ा समाज के बच्चों को छात्रवृत्ति नहीं मिलने को लेकर नीतीश कुमार पर निशाना साधते हुए कहा कि अति पिछड़ा वर्ग से आने वाले छात्रों को शिक्षा पाने के लिए छात्रवृत्ति मिलनी चाहिए। जिसमें बिहार सरकार और केंद्र सरकार की हिस्सेदारी होती है। इसके बावजूद भी बिहार में अति पिछड़े बच्चों की हकमारी की जा रही है। जिससे कहीं ना कहीं अति पिछड़े बच्चे पढ़ नहीं पा रहे हैं।
मनोज सिंह ने बिहार सरकार से मांग करते हुए कहा कि केंद्र सरकार की अधिसूचना के बाद भी बिहार में अति पिछड़ा समाज के लिए फ्री शिप कार्ड लागू नहीं हुआ है, उसे जल्द लागू किया जाए।
उन्होंने तीन मांग करते हुए कहा कि सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय भारत सरकार के तहत अनुसूचित जनजाति योजना को बिहार में तत्काल लागू किया जाए। इसके साथ ही अनुसूचित जनजाति के छात्रों के भविष्य को लेकर इस योजना के तहत उनके ट्यूशन फी और हॉस्टल फी का भुगतान छात्रों के बैंक खाते में करने का निर्णय लिया जाए। इसका लाभ 2021 से ही छात्रों को मिलना चाहिए था लेकिन अब तक इसे बिहार सरकार द्वारा लागू नहीं किया गया है। पोस्ट मैट्रिक स्कॉलरशिप की अधिकतम सीमा निर्धारित कर इसे बिहार में जल्द लागू किया जाए।