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औरंगाबाद: मदनपुर वन क्षेत्र में नक्सलियों से भारी मात्रा में हथियार और गोला बारूद बरामद, खुफिया इनपुट पर मिली सफलता
जे.पी.चन्द्रा की रिपोर्ट
बिहार नेशन: औरंगाबाद जिले का अतिनक्सल प्रभावित क्षेत्र मदनपुर थाना क्षेत्र में सुरक्षा बलों की कारवाई लगातार जारी है। इसमें सुरक्षा बलों को भारी सफलता भी मिल रही है। इसी क्रम में बिहार पुलिस की संयुक्त टीमों द्वारा औरंगाबाद के मदनपुर के वन क्षेत्र में एक खोज ऑपरेशन शुरू किया गया।
सीआरपीएफ के प्रवक्ता के मुताबिक सोमवार को एक विश्वसनीय खुफिया इनपुट के आधार पर सीआरपीएफ और बिहार पुलिस की संयुक्त टीमों द्वारा औरंगाबाद के मदनपुर के वन क्षेत्र में एक खोज ऑपरेशन शुरू किया गया। जवानों ने ऑपरेशन के दौरान सावधानीपूर्वक संदिग्ध क्षेत्र की स्कैनिंग की। इस छानबीन के दौरान क्षेत्र में कई स्थानों पर छिपे हथियारों, गोला-बारूद और विस्फोटकों का जखीरा मिल।
इस अभियान के तहत बरामदगी में मैगजीन के साथ एक 315 बोर की राइफल, अलग-अलग बोर के 3,583 राउंड कारतूस, 4 आईईडी, एक यूबीजीएल माउंट, 2 वायरलेस सेट, एक इंटरसेप्टर, 6 डेटोनेटर, आईईडी के लिए 24 पुल और प्रेशर मैकेनिज्म, 10-15 मीटर कॉर्डटेक्स वायर, 8 मोबाइल फोन, और तमाम नक्सल साहित्य बरामद किया है।

आपको बता दें कि हाल ही में नक्सल विरोधी अभियान में केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (CRPF) को बड़ी सफलता मिली थी। जवानों ने झारखंड और छत्तीसगढ़ में कुल 14 आईईडी बरामद की थीं। ये सभी आईईडी सुरक्षा बलों को निशाना बनाने के लिए लगाए गए थे। सीआरपीएफ के प्रवक्ता ने बताया कि नक्सलियों के खिलाफ चलाए जा रहे ऑपेरशन ग्रेविटास-3 के तहत केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल और झारखंड पुलिस की टुकड़ियों ने श्रृंखला में लगाए गए 12 आईईडी बरामद किए थे।
Bihar | In a joint operation, CRPF & police have recovered a cache of arms, ammunition and explosives hidden at multiple locations in the area forest area of PS Madanpur, Aurangabad pic.twitter.com/gyVDXf04G6
— ANI (@ANI) January 23, 2023
CRPF ने मौके पर सभी IED को नष्ट किया
सीआरपीएफ के अनुसार पहले ऑपेरशन में 209 कोबरा और झारखंड पुलिस की टुकड़ियां पश्चिमी सिंहभूम, झारखंड के घने जंगलों में काम कर रही थीं। जैसे ही वे रेंगराहातु फॉरवर्ड ऑपरेटिंग बेस से लगभग 2 किमी दूर पहुंचे, क्षेत्र को ध्यान से स्कैन करते हुए जवानों ने जमीन में दबा एक आईईडी बरामद किया।
मिली जानकारी के मुताबिक जैसे ही सैनिकों ने आईईडी से निकलने वाले तारों को ध्यान से ट्रैक किया, उन्हें 11 अन्य आईईडी का पता चला। सभी 12 आईईडी श्रृंखला में जुड़े हुए थे, इसका मतलब है कि उन्हें एक साथ विस्फोट किया जा सकता था। मौके पर ही आईईडी को नष्ट कर दिया गया।