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जे.पी.चन्द्रा की रिपोर्ट
बिहार नेशन: अब बिहार में बाल विवाह और दहेज उन्मूलन को लेकर राज्य सरकार ने बड़ा फैसला लिया है। अब इसमें मुखिया और दूसरे कोई भी जनप्रतिनिधि होंगे उनकी भागीदारी और भूमिका तय की जाएगी। इस बात के निर्देश खुद सम्राट चौधरी ने दिया है।
मंत्री सम्राट चौधरी ने कहा है कि बाल विवाह और दहेज प्रथा गंभीर सामाजिक बुराई हैं, जिन्हें दूर किए बिना सशक्त समाज की परिकल्पना नहीं की जा सकती है। बाल विवाह मानवीय अधिकारों का निर्मम उल्लंघन है। प्रत्येक बच्चे को एक पूर्ण और परिपक्व व्यक्ति के रूप में विकसित होने का अधिकार होता है, जो बाल विवाह की वजह से क्षत-विक्षत हो जाता है। कम उम्र में विवाह से संविधान द्वारा प्रदत्त शिक्षा के मौलिक अधिकार का भी हनन होता है। शादी की वजह से बहुत सारे बच्चे अनपढ़ और अकुशल रह जाते हैं, जिससे उनके सामने अच्छे रोजगार पाने और बड़े होने पर आर्थिक रूप से स्वतंत्र होने की ज्यादा संभावना नहीं बचती है।
इसी क्रम में माननीय मुख्यमंत्री बिहार द्वारा वर्ष 2021-22 में बाल विवाह और दहेज प्रथा के गंभीर मुद्दों पर सकारात्मक माहौल तैयार करने की दिशा में राज्यव्यापी समाज सुधार अभियान शुरू किया गया है। बिहार पंचायत राज अधिनियम, 2006 की धारा 22 (XX) और धारा 47 (20) के अंतर्गत क्रमशः ग्राम पंचायत एवं पंचायत समिति को महिला एवं बाल कार्यक्रमों में सहभागिता करने का दायित्व सौंपा गया है। नियमावली, 2010 के नियम-9 (1) में भी ग्राम पंचायत के प्रधान को बाल विवाह की सूचना प्राप्त कर अग्रसारित करने वाले माध्यम के रूप में चीन्हित किया गया है।
इसकी जानकारी देते हुए मंत्री सम्राट चौधरी ने कहा कि अधिनियम की धारा -156 के अधिन जो शक्तियाँ प्राप्त हैं उसी आलोक में मुखिया की जिम्मेवारी पंचायतों और जनप्रतिनिधियों के लिए सरकार ने तय करते हुए बाल विवाह और दहेज प्रथा उन्मूलन के लिए फैसला किया है।