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राहुल अकेले नहीं, कई गवां चुकें हैं अपनी सदस्यता, अगर वो अध्यादेश को पास होने देतें तो नहीं खोते सदस्यता, समझिए पूरी कहानी !

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जे.पी.चन्द्रा की रिपोर्ट

बिहार नेशन: कॉंग्रेस के वरिष्ठ नेता राहुल गांधी अब सांसद नहीं रहे । उनकी सदस्यता शुक्रवार को समाप्त हो गई है। इस मामले में लोकसभा सचिवालय ने नोटिस भी 24 मार्च को जारी कर दिया है। राहुल पर यह कार्रवाई सूरत सेशन कोर्ट के फैसले के बाद हुई है, जिसमें वह मोदी सरनेम केस में दोषी करार दिए गए हैं।

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राहुल गांधी की संसद सदस्यता खत्म करने का आधार गुजरात की एक कोर्ट द्वारा उन्हें 2 साल की सजा को बनाया गया है। लोकसभा सचिवालय के इस नोटिफिकेशन के बाद अब चुनाव आयोग वायनाड सीट पर उपचुनाव की घोषणा कर सकता है। साथ ही कांग्रेस नेता से सांसद के तौर पर उन्हें मिले सरकारी बंगले को खाली करने को भी कहा जा सकता है

जारी इस नोटिफिकेशन में कहा गया है कि राहुल गांधी की संसद सदस्यता संविधान के आर्टिकल 102 (1) (E) के सेक्शन 8 व लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 के तहत 23 मार्च से रद्द कर दी गई है।

सोनिया गांधी , राहुल गांधी

लेकिन राहुल गांधी पहले ऐसे नेता नहीं हैं, जिन्होंने कोर्ट से दोषी करार दिए जाने के बाद सदस्यता गंवाई है। इससे पहले लक्षद्वीप से सांसद मोहम्मद फैजल, रामपुर से विधायक आजम खान, बिहार के सारन से विधायक और सीएम रहे लालू यादव पर भी कार्रवाई हो चुकी है।

आपको बता दें कि पीएम मोदी को निशाने पर लेते हुए राहुल गांधी ने 2019 लोकसभा चुनाव के दौरान कर्नाटक के कोलार में ‘मोदी’ सरनेम वाले भगोड़ों की चर्चा करते हुए उन्हें चोर करार दिया था। इससे आहत होकर बीजेपी विधायक पूर्णेश मोदी ने राहुल गांधी पर मानहानि का केस कर दिया। चार साल बाद सेशन कोर्ट ने फैसला सुनाया और उन्हें दोषी पाया, और दो साल जेल की सजा सुनाई। हालांकि, बाद में उन्हें जमानत मिल गई।

इससे पहले, राहुल गांधी को सूरत की एक अदालत ने चार साल पुराने आपराधिक मानहानि के मामले में दो साल की सज़ा सुनाई थी। राहुल गांधी पर कोर्ट ने 15 हज़ार का जुर्माना भी लगाया है। साथ ही सज़ा को 30 दिन के लिए स्थगित किया गया था, यानी राहुल गांधी के पास सज़ा के ख़िलाफ़ ऊपरी अदालत में अपील करने के लिए एक महीने का समय है।

वो अध्यादेश जो राहुल की सदस्यता बचा सकता था

लेकिन सितंबर, 2013 में राहुल गांधी ने एक ऐसे अध्यादेश को बेतुका क़रार दिया था जो आज उनकी सदस्यता पर मंडराए संकट से उन्हें बचा सकता था।

उस वक्त यूपीए सरकार एक अध्यादेश लेकर आई थी जिसमें कहा गया था कि कुछ शर्तों के तहत अदालत में दोषी पाए जाने के बाद भी सांसदों और विधायकों को अयोग्य क़रार नहीं दिया जा सकेगा।

उस वक्त राहुल गांधी कांग्रेस पार्टी में उपाध्यक्ष थे। तब उन्होंने ‘दाग़ी सांसदों और विधायकों’ पर लाए गए यूपीए सरकार के अध्यादेश को ‘बेतुका’ क़रार देते हुए कहा था कि इसे फाड़कर फेंक देना चाहिए।

बयान देते हुए तब राहुल गांधी ने कहा था, “इस देश में लोग अगर वास्तव में भ्रष्टाचार से लड़ना चाहते हैं तो हम ऐसे छोटे समझौते नहीं कर सकते हैं।”

राहुल गांधी का कहना था, ”जब हम एक छोटा समझौता करते हैं तो हम हर तरह के समझौते करने लगते हैं।”

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