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बिहार में आठ हजार शिक्षकों के नौकरी पर लटकी तलवार, मिलेगा लास्ट चांस

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जे.पी.चन्द्रा की रिपोर्ट

बिहार नेशन: बिहार में स्कूलों की स्थिति सुधारने के लिए राज्य सरकार द्वारा कवायद शुरू कर दी गई है। अब सरकारी स्कूलों में शिक्षकों पर गाज गिरनेवाली है। पहले जैसी मनमानी नहीं चलेगी। खासकर वैसे नियोजित शिक्षकों पर गाज गिरनेवाली है जो क्लासरूम में आते तो जरूर हैं लेकिन बच्चों पर ध्यान नहीं देते हैं। ये वही शिक्षक हैं, जो क्लासरूम में या तो खर्राटा मारते पकड़े जाते हैं या जांच करने आए अधिकारियों के सवालों पर चुप्पी साध लेते हैं। लेकिन अब इनकी नौकरी पर खतरा मंडरा रहा है। राज्य के ऐसे आठ हजार शिक्षक शामिल हैं, जिन्हें खुद को साबित करने के लिए सरकार लास्ट चांस देने जा रही है।

इन सभी आठ हजार शिक्षकों से शिक्षक दक्षता परीक्षा ली जाएगी। इस एग्जाम के आधार पर ही उनकी नौकरी पर फैसला लिया जाएगा। अगर वे इस परीक्षा को पास कर लेते हैं तो वे अपनी नौकरी कर सकेंगे लेकिन परीक्षा क्वालीफाई नहीं करने वाले शिक्षकों की नौकरी जा सकती है। तीन हजार शिक्षकों से पहले ही परीक्षा ली जा चुकी है, लेकिन ये सभी फेल हो गए। पांच हजार शिक्षक ऐसे भी हैं जिन्होंने दक्षता परीक्षा से दूरी ही बना ली। यानी पांच हजार शिक्षक परीक्षा में शामिल ही नहीं हुए।

आपको बता दें, दक्षता परीक्षा में फेल होने वाले शिक्षकों में नालंदा में 83, नवादा में 159, शेखपुरा में 11, गया में 132, सारण में 72, दरभंगा में 77, वैशाली में 59, पश्चिम चंपारण में 18 गोपालगंज में 209, जमुई में 88, कटिहार में 173, खगडिय़ा में 31, किशनगंज में 136, लखीसराय में 33, मधुबनी में 260, अररिया में 206, अरवल में 20, औरंगाबाद में 80, बेगूसराय में 64, कैमूर में 20, भागलपुर में 10, भोजपुर में 77, मुंगेर में 31, मुजफ्फरपुर में 25, पूर्णिया में 165, रोहतास में 30, सहरसा में 87, समस्तीपुर में 74, शिवहर में 10, सीतामढ़ी में 140, सिवान में 164, सुपौल में 143 शिक्षक शामिल हैं। लेकिन सरकार इन्हें एक और मौका देने जा रही है। इनसे दोबारा दक्षता परीक्षा ली जाएगी, जिसे पास करना जरुरी होगा।

वहीं, दक्षता परीक्षा में एब्सेंट रहने वाले शिक्षकों में नवादा में 503, पूर्णिया में 78, रोहतास में 97, सहरसा में 173, समस्तीपूर में 123, सारण में 127, शेखपुरा में 45, शिवहर में 19, अररिया में 179, अरवल में 31, औरंगाबाद में 138, बेगूसराय में 110, भागलपुर में 67, भोजपुर में 134, दरभंगा में 297, गया में 157, गोपालगंज में 570, जमुई में 22, कटिहार में 107, खगडिय़ा में 34, किशनगंज में 53, लखीसराय में 35, मधुबनी में 196, मुंगेर में 53, मुजफ्फरपुर में 337, नालंदा में 230, पश्चिम चंपारण में 24, वैशाली में 187, सुपौल में 74, सिवान में 325, सीतामढ़ी में 127, शिवहर में 19 शिक्षक शामिल हैं।

मालूम हो कि बिहार में लगातार शिक्षा व्यवस्था को लेकर नीतीश सरकार पर सवाल उठते रहे हैं। लोगों का यहाँ तक कहना है कि सरकारी स्कूलों में केवल खानापूर्ति की जाती है। स्कूलों में बच्चों को नहीं पढ़ाया जाता है। बच्चे स्कूलों में इधर-उधर खेलते रहते हैं जबकि शिक्षक गपशप में एक दूसरे से लगे रहते हैं।

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