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जाप नेता समदर्शी ने कहा-अब तो हाई कोर्ट ने भी टिप्पणी की है कि सूबे में पुलिस और शराब माफिया गठजोड़ हावी है  

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बिहार नेशन: बिहार में जहां एक तरफ जहरीली शराब पीने से लगातार मृत्यु जारी है तो क्या नालंदा, छपरा  जैसी स्थिति अन्य जिले मे नहीं हो सकती है ?  क्योंकि सरकार के स्तर से गंभीर प्रयास कहीं दिखाई नहीं दे रहा है।  ऐसी घटना को लेकर सरकार ससंकित है और सूबे के नागरिक भयभीत हैं।  उक्त बातें जन अधिकार पार्टी (लोकतांत्रिक) के प्रदेश महासचिव संदीप सिंह समदर्शी ने प्रेस विज्ञप्ति जारी कर कही। इन्होंने आगे कहा  कि राज्य सरकार अपने स्तर से प्रदेश में आए सामाजिक-आर्थिक बदलाव का अध्ययन करना चाहती है।

जानकारी के अनुसार इसकी जिम्मेवारी चाणक्य राष्ट्रीय विधि संस्थान की पंचायती राज पीठ को दी गई है। संस्थान राज्य के अलग-अलग हिस्सों में सर्वेक्षण कर निष्कर्ष तक पहुंचने की कवायद करेगी, इस पर लाखों रुपये खर्च आयेगा। जबकि इसकी रिपोर्ट आने में महीनों नही साल लगेंगे। आखिर सरकार सर्वेक्षण कराकर सामाजिक और आर्थिक बदलाव का क्या अध्ययन कराना चाहती है। जबकि राज्य सरकार वर्ष 2016 -17 में आद्री की मदद से शराबबंदी के बाद आए बदलाव के लेकर सर्वे करा चुकी है उससे क्या हासिल हुआ ?

समदर्शी ने आगे विस्तार से बताया कि नालंदा, छपरा के कांड की पुनरावृत्ति रोकने के लिए राज्य सरकार जहरीली शराब बनाने वाले लोगों और संदिग्ध स्थानों की पता कर सख्त कार्रवाई करने की आवश्यकता है। इसके लिए जिलों के मधनिषेध विभाग और स्थानीय पुलिस सहित अन्य कोषांग गठन कर कार्य करने की जरूरत है। ऐसे सरकार पांच साल में संदिग्ध लोगों और संदिग्ध स्थानों को चिह्नित नहीं कर सकी तो अब कितने दिनों में  यह कर सकेगी।
जाप नेता ने कहा कि स्थानीय स्तर पर पुलिस और शराब माफिया सरकार पर हावी है, जिससे अवैध रूप से शराब बनाकर बेचे जाते हैं। राज्य में ऐसे कई स्थान हैं जहां अवैध तरीके से शराब बनाकर बेचने की सूचना मिलती है और वहां कार्रवाई भी होती है, लेकिन फिर दूसरे दिन गोरखधंधा धंधा शुरू हो जाता है, बिना पुलिस और दलाल के गठजोड़ के सम्भव ही नही है। जिस दिन सरकार इस गठजोड़ को समाप्त करने में सक्षम हो जाएगी उसी दिन से यह गोरख धंधा और कारोबार समाप्त हो जाएगा। लेकिन राज्य सरकार की पुलिस की कार्यप्रणाली यह स्पष्ट करता है कि पुलिस  शराब पीने वालों पर तो तुरंत शिकंजा कसती है, लेकिन शराब बेचने वाले माफियाओं को बचाने के लिए एक साल के बाद भी उन्हें गिरफ्तार नहीं करती है जिस पर कल माननीय पटना हाईकोर्ट ने टिप्पणी करते हुए स्पष्ट किया कि बिहार में शराब माफिया और पुलिस के बीच सांठगांठ है जो इस तरह की कार्रवाई को रोकने में लगी हुई है। हाई कोर्ट की टिप्पणी के बाद मुख्यमंत्री जी को जनता के बीच आकर स्पष्ट करना चाहिए कि क्या कारण है कि शराब माफिया को बचाने में सरकार और पुलिस के आला अधिकारी
संलिप्त हैं ।

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