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औरंगाबाद: बच्चों को 34 विद्यालयों में नहीं मिल रहा है मध्याह्न भोजन, 23 विद्यालयों में चापाकल खराब, ये है कारण

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जे.पी.चन्द्रा की रिपोर्ट

बिहार नेशन: औरंगाबाद जिले के कई स्कूलों में व्यवस्था का आलम है यह है कि विभागीय अधिकारियों के सख्ती न बरतने एवं ध्यान न देने के कारण 34 सरकारी स्कूलों में छात्र-छात्राओं को मध्याह्न भोजन नहीं मिल रहा है। बच्चे भोजन करने के लिए घर चले जाते हैं । लेकिन इसपर न विद्यालय प्रशासन सजग है और न विभाग के अधिकारी। वहीं अगर बात करें पेयजल की तो 23 ऐसे विद्यालय हैं जहाँ चापाकल बेकार पड़ा है। जब भी बच्चों को प्यास लगता है घर चले जाते हैं । साथ ही इस कारण से शौचालय का उपयोग न शिक्षक कर पा रहे हैं और न छात्र-छात्राएं।

इस बारे में डीपीओ मध्याह्न भोजन अमीन सिंह ने बताया कि 34 विद्यालयों को छोड़ सभी जगह मध्याह्न भोजन मिल रहा है। खाद्यान्न के कारण 11, रसोईया के कारण सात, बर्तन न होने के कारण तीन एवं विद्यालय में पानी न होने के कारण 23 विद्यालयों में मध्याह्न भोजन बंद है।

चापाकल

चापाकल ठीक कराने के लिए पीएचईडी विभाग को पत्र लिखा गया है। कई विद्यालय का चापाकल ठीक करा दिया गया है। सभी विद्यालयों में मध्याह्न भोजन शुरू कराने का प्रयास किया जा रहा है। बच्चों को पौष्टिक भोजन के साथ गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्रदान करना है।

मध्याह्न भोजन

आपको यह भी बता दें कि कई विद्यालय ऐसे भी हैं जहाँ शौचालय कई सालों से बंद पड़ा है। ऐसी स्थिति में स्कूल के खासकर छात्राओं को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता है। मदनपुर प्रखंड के ग्राम अंजनवां में ही वर्षों से शौचालय बंद है। इससे छात्र-छात्राओं को काफी परेशानी होती है। लेकिन इसकी कोई सुध नहीं लेनेवाला है। पंचायत प्रतिनिधि भी इसपर कोई ध्यान नहीं दे रहे हैं । आलम यह है कि प्रतिष्ठा के चलते अपनी बच्चियों को स्कूल में भेजने से भी लोग कतराने लगे हैं । ऐसे में बेटी पढ़ाओ बेटी बाचाओ का नारा खोखला साबित हो रहा है।

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