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बिहार: जमीन-दाखिल-खारिज में अब CO का खेल समाप्त, कसा नकेल, विभाग ने बनाए नये नियम

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जे.पी.चन्द्रा की रिपोर्ट

बिहार नेशन: बिहार में अक्सर भूमि विवाद में अधिकारियों पर कई तरह के आरोप लगते रहते हैं। ऐसी भी शिकायतें आती हैं कि जमीनी विवाद मामले में पैसे का अंचलाधिकारी द्वारा खेल खेला जाता है। लेकिन अब भूमि विवाद पर लगाम लगाने के लिए सरकार ने नया नियम बनाया है। पिछले दिनों भूमि सुधार मंत्री आलोक मेहता ने इसके संकेत दिए थे।अब अंचल अधिकारी एक बार दाखिल-खारिज के आवेदन को रद्द करने के बाद उसे फिर से स्वीकार नहीं कर सकेंगे।

राज्य सरकार ने दाखिल-खारिज के नियम को और सख्त बनाते हुए नये नियम को प्रभावी कर दिया है। नयी व्यवस्था में अंचल अधिकारी किसी सूरत में दाखिल-खारिज के आवेदन पर दोबारा विचार नहीं कर सकेंगे।

नए प्रावधान के तहत अंचल अधिकारी द्वारा दाखिल-खारिज के किसी आवेदन को अस्वीकृत करने के बाद उस पर विचार का अधिकार वे स्वत: खो देंगे। ऐसा नहीं होगा कि वे एक बार दाखिल-खारिज के किसी आवेदन को अस्वीकार करने के बाद फिर से आवेदक द्वारा आवेदन देने पर उसे स्वीकार कर लें। नये प्रावधान से आम लोगों को बड़ी राहत मिलेगी। अक्सर अवैध कमाई के लिए आरटीपीएस से दिए गए आवेदन को रद्द कर दिया जाता है। पिछले गेट से दलाल आवेदन ले लेते हैं जिसे स्वीकार कर म्यूटेशन कर दिया जाता है।

राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग ने मौजूदा प्रावधान में बड़ा बदलाव करते हुए अब अंचल अधिकारी के इस अधिकार को सीमित कर दिया है। अब उनके द्वारा आवेदन अस्वीकृत करते ही विचार के लिए वह मामला भूमि सुधार उप समाहर्ता के स्तर पर ही विचार किया जा सकेगा। हालांकि वे अपने पूर्व के आदेश पर पुनर्विचार के लिए रैयत को भूमि सुधार अपर समाहर्ता के न्यायालय में अपील के लिए दायर करने का निर्देश दे सकते हैं। इससे सिस्टम में पारदर्शिता आएगी। विभाग ने इसको लेकर अपनी आईटी शाखा को फुलप्रूफ सिस्टम तैयार करने को कहा है।

अभी कई मामलों में ऐसा देखा गया है कि अंचल अधिकारी दाखिल-खारिज के किसी आवेदन को अस्वीकृत करने के बाद आवेदक द्वारा फिर से आवेदन करने पर उस पर विचार करते हैं। वे उसे स्वीकार भी कर लेते हैं। लेकिन अब सरकार के इस फैसले से आमलोगों को बड़ी राहत मिलेगी।

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