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जानिए! DM और डिस्ट्रिक्ट कलेक्टर में क्या है अंतर, दोनों की कितनी होती है सैलरी ?

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जे.पी.चन्द्रा की रिपोर्ट

बिहार नेशन: कुछ ऐसे शब्द होते हैं जो बोलचाल में लोग समझते हैं कि दोनों शब्दों में कोई अंतर नहीं है। लेकिन दोनों शब्दों में काफी फर्क होता है। ऐसा ही शब्द है डिस्ट्रिक्‍ट मजिस्‍ट्रेट यानी डीएम और डिस्ट्रिक्ट कलेक्टर यानी डीसी। इसके अंतर को लेकर काफी कंफ्यूज रहते हैं। जान लें कि इन दोनों शब्दों में अंतर है।

दरअसल हर राज्य के जिले की जिम्मेदारी डिस्ट्रिक्‍ट मजिस्‍ट्रेट यानी डीएम की होती है। डिस्ट्रिक्ट कलेक्टर और डीएम के बीच काफी अंतर होता है। भारत में एक सरकारी राजस्व प्रशासन का सर्वोच्च रैंक वाला कर्मचारी एक जिला कलेक्टर होता है।

वहीं संभागीय आयुक्त और वित्तीय आयुक्त सरकार में राजस्व के मामले में जिला कलेक्टर को नियुक्त किया जाता है। जिला मजिस्ट्रेट को डीएम भी कहा जाता है, एक जिला मजिस्ट्रेट को सौंपे गए कर्तव्य या जिम्मेदारियां अलग-अलग राज्यों में अलग-अलग होती हैं। जहां डीएम को उनकी कार्यशक्ति दण्‍ड प्रक्रिया संहिता (CrPC), 1973 से मिलती हैं। इसके साथ ही एक कलेक्टर को भूमि राजस्‍व संहिता, 1959 से मिलती है।

जिला कलेक्टर कौन है ?

भारत में राजस्व प्रशासन के सर्वोच्च अधिकारी को जिला कलेक्टर के रूप में जाना जाता है। जिला कलेक्टर जिले के पूरे प्रबंधन का प्रभारी होता है, जो सभी विभागों को ध्यान में रखते हुए उनके क्षेत्र में आता है। जिला कलेक्टर के कार्यों का उद्देश्य भू-राजस्व एकत्र करना या पर्यवेक्षण करना है कि लगान भू-राजस्व कैसे एकत्रित किया जाए। कलेक्टर की न्यायिक शक्ति जिले के न्यायिक अधिकारियों को हस्तांतरित कर दी गई, जो स्वतंत्रता के बाद हुई है। प्रत्येक जिले में एक जिला कलेक्टर या मुख्य उपायुक्त होता है, जिसे राज्य सरकार कानून, जिला प्रशासन और व्यवस्था की देखभाल के लिए नियुक्त करती है। जिले के मुख्य प्रशासनिक प्रमुख को कलेक्टर के रूप में जाना जाता है।

जिला मजिस्ट्रेट कौन है ?

वहीं जिला मजिस्ट्रेट को जिले का डीसी या डीएम भी कहा जाता है और उसे उपायुक्त या जिला कलेक्टर कहा जाता है। जिला मजिस्ट्रेट भारतीय प्रशासन सेवा (आईएएस) का एक अधिकारी है, भारतीय प्रशासनिक सेवाओं के संगठन से अधिकारियों को सरकार द्वारा विभिन्न राज्यों या जिलों में तैनात किया जाता है। आईएएस में रखे गए सदस्यों को या तो सीधे संघ लोक सेवा आयोग द्वारा नामांकित किया जाता है या फिर आगे पदोन्नत किया जाता है। इन्हें राज्य सिविल सेवा (एससीएस) और गैर-राज्य सिविल सेवा (गैर-एससीएस) द्वारा नामित किया जाता है। राज्य सरकार जिला मजिस्ट्रेट और जिला कलेक्टर को एक स्थान से दूसरे स्थान पर ट्रांसफर करती है।

डीएम- कलेक्टर की कितनी होती है सैलरी ?

वहीं अगर डीएम की सैलरी की बात की जाए तो सैलरी व भत्‍ता के अलावा कई अन्‍य सुविधाएं भी मिलती हैं। इसके साथ ही डीएम को 7वें वेतनमान के अनुसार 1 लाख से 1.5 लाख रुपये प्रति महीने की सैलरी मिलती है। इसके अलावा इन्‍हें बंगला, गाड़ी, सुरक्षा गार्ड, मेडिकल, फोन आदि की सुविधा भी सरकार द्वारा दी जाती है। जिला कलेक्टर की सैलरी वैसे तो 80 हजार के करीब होती है लेकिन वह कैबिनेट सचिव के पद पर पहुंच जाता है तो उसकी सैलरी 2,50,000 रुपये प्रतिमाह पहुंच जाती है।

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