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मदनपुर थाना की पुलिस ने दस लीटर महुआ शराब के साथ एक कारोबारी को किया गिरफ्तार
जे.पी.चन्द्रा की रिपोर्ट
बिहार नेशन: बिहार में शराब बंदी के बावजूद भी इसका अवैध कारोबार जारी है। खबर औरंगाबाद जिले के मदनपुर थाना क्षेत्र से है। जहाँ मदनपुर थाना की पुलिस ने 10 लीटर अवैध महुआ शराब के साथ एक कारोबारी को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया है। इस धंधेबाज को खिरियावां मोड़ के पास दबोचा गया । शराब कारोबारी की पहचान गया जिले के आमस निवासी स्व.जगदेव प्रजापत के पुत्र मनोज प्रजापत के रूप में की गई है।
वहीं इस मामले में मदनपुर थानाध्यक्ष संजय कुमार ने बताया कि यह गिरफ्तारी मिली गुप्त सूचना के आधार पर की गई है। पुलिस को सूचना मिली थी कि एक शराब धंधेबाज आमस से प्लास्टिक के बोरी मे शराब लेकर मदनपुर की तरफ आ रहा है। इसी सूचना के आधार पर पुलिस ने सघन जांच शुरू कर दी। जैसे ही शराब कारोबारी खिरियावां मोड़ के पास पहुंचा पुलिस को देखकर भागने लगा।
वहीं पुलिस ने द्वारा उसे खदेड़कर पड़रिया मोड़ पर दबोच लिया गया। जब उस बोरी की तलाशी ली गयी तो प्लास्टिक के दो पन्नी में पांच-पांच लीटर महुआ शराब मिला जिसे पुलिस ने जब्त कर लिया। जबकि धंधेबाज स्वयं भी शराब पिये हुए था । इस बात की पुष्टि सामुदायिक सवास्थ्य केंद्र मदनपुर में जांचोपरांत की गई।मदनपुर थाना कांड संख्या-189/22 के तहत प्राथमिकी दर्ज करते हुए मनोज प्रजापत को मंगलवार को जेल भेज दिया गया है।इस छापेमारी अभियान में पुलिस सहायक अवर निरीक्षक फारुख अंसारी के साथ जिला पुलिस के जवान शामिल रहे।
वहीं इसी जिले के बारुण थाना क्षेत्र के बगतारपा ग्राम के समीप से शराब के साथ तस्कर को गिरफ्तार किया गया है। पुलिस अवर निरीक्षक दीनानाथ सिंह यहां पहुंचे थे जिन्हें देखते ही शराब तस्कर मोटरसाइकिल लेकर भागने लगा। मोटरसाइकिल पकड़ कर तलाशी ली गई तो टनाका कंपनी की शराब मिली। शराब ले जा रहे बाइक सवार की पहचान बगतरपा ग्राम निवासी 22 वर्षीय सुजय कुमार के रूप में की गई है। थानाध्यक्ष धनंजय शर्मा ने बताया कि शराब के साथ मोटरसाइकिल तथा उक्त व्यक्ति को गिरफ्तार कर लिया गया है।
गौरतलब हो कि बिहार में 2016 से ही शराब बंदी लागू है । लेकिन फिर भी इसके अवैध व्यापार से शराब माफिया बाज नहीं आ रहे हैं । हालांकि पुलिस लगातार छापेमारी कर धंधेबाजो को पकड़ रही है। बता दें कि हाल ही में कोर्ट से शराब बंदी के मामले में फटकार के बाद नीतीश सरकार ने इसमें थोड़ी ढील दी है।
दरअसल शराब बंदी कानून के मामले को लेकर कोर्ट में लगातार इसका बोझ न्यायालय पर पड़ रहा था। इस कारण से कई मामले की सुनवाई में देरी आ रही थी। इसी मामले के बोझ को कम करने के लिए नीतीश सरकार से कोर्ट ने जवाब तलब किया था।