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विशेष रिपोर्ट: आखिर नक्सलियों के खिलाफ अभियान से बिहार-झारखंड सीमा पर क्यों मचा है हड़कंप

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जे.पी.चन्द्रा की रिपोर्ट

बिहार नेशन: बिहार में नक्सलियों के खिलाफ की जा रही कारवाई से हड़कंप मचा है। वे चाहकर भी किसी बड़ी घटना को अंजाम नहीं दे पा रहे हैं। पिछले कई महीने से सुरक्षा बलों ने माओवादियों के खिलाफ सर्च अभियान चला रखा है। जिसमें सुरक्षा बलों को काफी सफलता भी मिल रही है। भारी मात्रा में विस्फोटक पदार्थ जब्त किये जा रहे हैं। प्रतिबंधित नक्सली संगठन भाकपा माओवादी छकरबंधा से झारखंड बिहार सीमावर्ती इलाके में अपनी गतिविधि का संचालन करते थे। वहीं माओवादियों के टॉप कमांडर संदीप यादव की बीमारी से मौत हो चुकी है। जबकि, छकरबंधा के इलाके में सुरक्षाबलों का कब्जा हो गया है। संदीप की मौत के बाद छकरबंधा के इलाके में भगदड़ मची हुई है इसका खुलासा गिरफ्तार माओवादी रविंद्र मेहता ने किया है।

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पांच लाख रुपये के इनामी माओवादी रविंद्र मेहता उर्फ छोटा व्यास को गढ़वा पुलिस ने गिरफ्तार किया है। रविंद्र मेहता उर्फ छोटा व्यास ने पूछताछ के दौरान सुरक्षा एजेंसियों को कई बड़ी जानकारी दी है। उसने पुलिस को बताया है कि छकरबंधा के इलाके में माओवादी संदीप की मौत के बाद मध्यजोन में किसी भी कमांडर को एक दूसरे पर विश्वास नहीं है। संदीप यादव उर्फ विजय यादव माओवादियों के मध्य जोन का सुप्रीम कमांडर हुआ करता था। उसकी मौत के बाद माओवादी मध्य जोन में खास जाति वर्ग के कमांडर की तलाश कर रहे हैं। संदीप यादव का बिहार झारखंड में खास जाति वर्ग पर पकड़ थी।

सुरक्षा एजेंसियों के अनुसार माओवादी 15 लाख के इनामी कमांड विनय यादव उर्फ मुराद पर अपना दांव खेल सकते हैं। बीना यादव और मुराद की भी खास जाति वर्ग पर पकड़ है। रविंद्र मेहता ने सुरक्षा एजेंसियों को बताया कि विनय उर्फ मुराद से अधिक सीनियर लातेहार के रहने वाले चार्लीस और गौतम पासवान हैं। पिछले एक दशक में माओवादियों के मध्य जोन में खास जाति वर्ग की पकड़ रही है, जिस कारण माओवादी उसी जाति वर्ग से कमांडर की तलाश कर रहे हैं।

गिरफ्तार माओवादी कमांडर रविंद्र मेहता ने सुरक्षा एजेंसियों को बताया है कि संदीप की मौत के बाद पोलित ब्यूरो मेंबर प्रमोद मिश्रा ने सभी कमांडरों को छकरबंधा छोड़ने को कहा था। उसने बताया है कि वह संजय गोदराम के दस्ते में था। सभी कमांडर अलग अलग दस्तों के साथ निकल गए थे। प्रमोद मिश्रा ने सभी अपने अपने प्रभाव वाले इलाके में जाने को कहा था, इस दौरान सभी को निर्देश मिले थे कि सही वक्त आने के बाद सभी को पत्र के माध्यम से सूचित किया जाएगा। उसके बाद प्रमोद मिश्रा खुद दूसरे इलाके में चला गया।

वहीं यह भी बात आ रही है कि माओवादियों के मध्य जोन से लेवी की वसूली सबसे अधिक होती थी। इस म्ध्यजोन में पलामू, गढ़वा, चतरा और बिहार का गया, औरंगाबाद और रोहतास का क्षेत्र है। जबकि माओवादी संदीप यादव की मौत के बाद सुरक्षा बलों ने छकरबंधा में में बड़ा अभियान शुरू किया था, अभियान के बाद टॉप कमांडर इलाके को छोड़ कर भाग गए थे।

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