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बिहार विधानसभा के शताब्दी समारोह में नहीं आए तेजस्वी – राबड़ी और तेज प्रताप, सीएम नीतीश ने किया उद्घाटन

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BIHAR NATION : बिहार में विधानसभा भवन के 100 साल पूरे हो गए । आज ही के दिन सात फरवरी 1921 को बिहार विधानसभा की पहले सत्र की बैठक हुई थी। सेंट्रल हॉल में सीएम नीतीश कुमार ने इस समारोह का उद्घाटन किया । उन्‍होंने विधानसभा के लंबे सत्र के पक्ष में अपनी राय रखी। समारोह में बिहार विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष तेजस्‍वी यादव तथा उनकी मां व पूर्व मुख्‍यमंत्री राबड़ी देवी नहीं पहुंचे।

उधर, समारोह को संबोधित करते हुए उपमुख्यमंत्री रेणु देवी की जुबान फिसल गई। उन्‍होंने स्पीकर विजय सिन्हा को विजय प्रसाद श्रीवास्तव कहकर संबोधित किया। समारोह के दौरान तब हंगामा हो गया, जब भारतीय कम्‍युनिस्‍ट पार्टी मार्क्‍सवादी-लेनिनवादी के विधायक महबूब आलम ने मुख्‍यमंत्री नीतीश कुमार के खिलाफ टिप्पणी कर दी।

आपको बता दें कि उस वक्‍त इसे बिहार-उड़ीसा विधान परिषद कहा जाता था। सौ साल पहले सदन के सदस्यों को चुनने के लिए केवल 2404 लोगों को वोट देने का अधिकार था। बाद में यह संख्‍या बढ़कर 3,25,293 हो गई। इसके अतिरिक्‍त 1463 यूरोपियन, 370 जमींदारों तथा 1548 विशेष निर्वाचन क्षेत्र के मतदाताओं को भी वोट देने का अधिकार प्राप्‍त था। आज सौ साल बाद राज्‍य के 7.43 करोड़ से अधिक मतदाता विधानसभा के सदस्यों का निर्वाचन करते हैं।

वहीं विधानसभा अध्‍यक्ष के संबोधन के बाद उस समय हंगामा हो गया, जब सीपीआइ एमएल के विधायक महबूब आलम ने मुख्‍यमंत्री नीतीश कुमार के खिलाफ टिप्पणी कर डाली। महबूब आलम ने कहा कि धरना-प्रदर्शन सभी का अधिकार है, लेकिन मुख्‍यमंत्री नीतीश कुमार इससे असहज हो जाते हैं। मुख्‍यमंत्री की ओर इशारा करते हुए महबूब आलम ने कहा कि कई फैसले तो आपकी अनुमति के बिना ही कर लिए जाते हैं। उन्‍होने विधान सभा के मुख्य द्वार पर भारतीय जनता पार्टी के के झंडे लगाए जाने का भी विरोध किया। महबूब आलम की बातों पर बीजेपी के विधायकों ने विरोध जताया।

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