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बिहार में फिर से शुरू होने जा रहा है छठे चरण के शिक्षक नियोजन की प्रक्रिया

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जे.पी.चन्द्रा की रिपोर्ट

बिहार नेशन: बिहार में लंबे समय से टलती आ रही शिक्षकों के नियोजन की प्रक्रिया एक बार फिर से शुरू होने जा रहा है। नीतीश सरकार ने गुरुवार को कोर्ट के आदेश का पालन करते हुए इससे वंचित रहनेवाले अभ्यर्थियों को मौका देने का निर्णय लिया है। शिक्षा विभाग के विशेष सचिव माध्यमिक मनोज कुमार की तरफ जारी आदेश के मुताबिक एसटीईटी-2011 उत्तीर्ण वैसे सभी अप्रशिक्षित अभ्यर्थी जिन्होंने सत्र 2017-19 बीएड की परीक्षा निर्धारित तारीख 26 सितम्बर 2019 तक पास कर ली हो, उन्हें छठे चरण की नियोजन प्रक्रिया में शामिल किया जाता है। साथ ही एसटीईटी 2011 जिनका रिजल्ट 2013 में जारी हुआ और उन्होंने बीएड की परीक्षा 26 सितम्बर 2019 तक पास कर ली हो, उन्हें भी नियोजन प्रक्रिया में शामिल करने का फैसला लिया गया है।

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आपको बता दें कि पटना हाईकोर्ट ने प्रीति प्रिया ओर अन्य की तरफ से दायर याचिका पर 9 फरवरी 2022 को पारित आदेश में तय तारीख तक तक प्रशिक्षितों को छठे चरण की मौजूदा प्रक्रिया में ही शिक्षक बनने का अवसर देने को कहा था। शिक्षा विभाग ने हाईकोर्ट से अपील की थी कि चूंकि नियोजन की प्रक्रिया लगातार चलने वाली है और छठा चरण नियुक्ति पत्र वितरण तक पहुंच गया है, इसलिए इसे चलने दें। लेकिन कोर्ट का आदेश आने पर नियुक्ति शिड्यूल को भी स्थगित कर दिया था। अब कोर्ट के आदेश के पालन में जल्द ही नियोजन का नया शिड्यूल जारी किया जाएगा। जानकारी के मुताबिक ऐसे सैकड़ों अभ्यर्थी हैं, जिन्हें इस चरण में आवेदन का अवसर मिल गया है। छठे चरण की नियुक्ति की कार्रवाई जुलाई 2019 से चल रही है।

गौरतलब हो कि बिहार में माध्यमिक और उच्च माध्यमिक शिक्षकों के नियोजन की प्रक्रिया लंबे समय से की जा रही है। लेकिन राज्य सरकार द्वारा इसकी नियोजन की प्रक्रिया इस तरह से उलझाकर रखा गया है कि 2012 से जारी की  गई रिक्ती नहीं भर रही है। वहीं बार -बार चरण दर चरण नियोजन निकालकर केवल खानापूर्ति की जा रही है। इससे हजारों एसटीई टी परीक्षा पास अभ्यर्थियों की उम्र सीमा भी समाप्त हो चुकी है।

छात्रों का कहना है कि नीतीश सरकार बहाली के नाम पर छात्रों के साथ मजाक कर रही है। अगर उसे शिक्षकों की बहाली करनी है तो अबतक की रिक्त सारे पदों को जोड़कर केंद्रिकृत तरीके से बहाली क्यों नहीं करती है। बता दें कि छात्र कई बार इसे लेकर आंदोलन भी कर चुके हैं । लेकिन नीतीश सरकार के कान पर जू  तक नहीं रेंगती है।

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