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दारोगा वीरेंद्र पासवान का पार्थिव शरीर पहुंचा पैतृक गांव,अंतिम दर्शन को उमड़ी भीड़

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जे.पी.चन्द्रा की रिपोर्ट

बिहार नेशन: जब शहीद दारोगा वीरेंद्र पासवान का पार्थिव शरीर सोमवार को सासाराम में उनके पैतृक गांव शिवसागर के सोनडिहरा में पहुंचा तो शव के पहुंचते ही उनके परिवार में कोहराम मच गया। उनके वृद्ध पिता का रो-रोकर बुरा हाल है। जबकि अन्य तीन भाई का भरा-पूरा परिवार भी गमगीन है। शव के पहुंचते ही क्षेत्र में आग की तरह सूचना फैली और लोग मृत दारोगा के घर की तरफ उमड़ पड़े।

शव के साथ पुलिस बल ताबूत में फूल माला से लदे शव को उनके दरवाजे के सामने चौकी पर रखा गया, जिसे ग्रामीण अंतिम दर्शन कर रहे हैं। बिलखते मृत दारोगा की पत्नी और बेटी को संभालना मुश्किल हो रहा हैं। उनके चीत्कार से आसपास का माहौल पूरी तरह गमगीन है।

शहीद दारोगा वीरेंद्र पासवान

बताते चलें की सोनडिहरा गांव के रामबचन पासवान के चार बेटों में दारोगा बीरेंद्र पासवान एकमात्र नौकरी करने वाले थे। मृतक के तीन भाई सुरेंद्र पासवान, विरेंद्र पासवान, छोटन पासवान और चंद्रभान पासवान गांव पर ही खेतीबारी करते है। इस तरह वे पूरे भरे-पूरे परिवार के धुरी थे। मृतक के पुत्र वरूण प्रताप 30 साल एवं विनय प्रताप 23 साल के हैं। जबकि बेटी वंदना 26 साल की हैं। जिसकी शादी होने वाली थी। विभिन्न राजनीतिक दलों के नेता कार्यकर्ताओं के अलावा स्थानीय प्रशासनिक अधिकारी भी श्रद्धांजलि देने पहुंचे हैं।

मालूम हो कि औरंगाबाद के दाउदनगर थाना क्षेत्र के नान्हू बिगहा में मुंशी की हत्या मामले में गुरुवार को वे दो आरोपियों को पकड़ने रात में शमशेर नगर के पीड़ी पर गये थे। उसी दौरान उपद्रवियों ने हमला कर आरोपियों को छुड़ा लिया था और इनके ऊपर  घर की छत से लोहे की कील युक्त भारी सामग्री फेंक दी गई थी। बाद में इनका इलाज पटना के एक निजी हॉस्पिटल पारस में किया जा रहा था लेकिन रविवार को उन्होंने दम तोड़ दिया । वहीं इस मामले में 16 नामजद आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया गया है और अन्य की तलाश जारी है।

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