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औरंगाबाद: हत्या के एक मामले में व्यवहार न्यायालय ने सुनाई पांच दोषियों को आजीवन कारावास की सजा

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जे.पी.चन्द्रा की रिपोर्ट

बिहार नेशन: सोमवार को जिले की व्यवहार न्यायालय ने हत्या के एक मामले में पांच दोषियों को आजीवन कारावास की सजा सुनाई है। यह मामला कुटुंबा थाना क्षेत्र के दधपा गांव का है जहाँ के निवासी सुमेर सिंह की गला दबाकर हत्या कर दी गई थी। सोमवार को अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश-10 रत्नेश्वर कुमार सिंह की अदालत ने कुटुंबा थाना कांड संख्या 5/2009 की सुनवाई करते हुए रफीगंज थाना क्षेत्र के जैन बिगहा गांव निवासी रामनाथ मेहता, आनंद कुमार सिंह, सुमेर के गांव के संतोष मालाकार, मिथलेश चंद्रवंशी एवं ललिता कुंवर को हत्या की धारा 302/34 में आजीवन कारावास के अलावा 20 हजार जुर्माना की सजा सुनाई है।

जुर्माना राशि नहीं देने पर सभी को छह माह अतिरिक्त सजा भुगतनी पड़ेगी। कोर्ट ने धारा 201/34 में तीन वर्ष एवं दस हजार जुर्माना की सजा सुनाई है। जुर्माना राशि नहीं देने पर तीन माह अतिरिक्त कारावास की सजा सुनाई गई है। सभी सजाएं एक साथ चलेंगी। सरकार की ओर से अपर लोक अभियोजक अनिल कुमार ने बहस में भाग लिया। अधिवक्ता सतीश कुमार स्नेही ने बताया कि हत्या मामले की प्राथमिकी सुमेर के पिता सुरेश सिंह ने 18 जनवरी 2009 को दर्ज कराया था।

मामले में मृतक के पिता ने आरोप लगाया था कि उनके पुत्र को शराब पिलाने एवं मुर्गा खिलाने के नाम पर ललिता कुंवर के घर ले गए थे। दूसरे दिन जब पुत्र घर पर नहीं आया तो खोजबीन शुरू की गई। इस दौरान 20 जनवरी 2009 को ललिता कुंवर के घर के पीछे पुआल में छिपाकर रखे गए शव को बरामद किया गया था। आरोपितों पर शराब पिलाकर एवं गला दबाकर हत्या करने का आरोप लगाया गया था।अधिवक्ता ने बताया कि कांड के 13 वर्ष बाद सभी पांचों दोषियों को हत्या के इस मामले में कोर्ट से सजा सुनाई गई है। बताया कि सभी को 27 जनवरी को दोषी पाया गया था और बंधपत्र विखंडित करते न्यायालय ने जेल भेज दिया था।

आपको बता दें कि यह फैसला 13 वर्षों के बाद आया है और इसमें पांच दोषियों को आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई है। जबकि 27 जनवरी को व्यवहार न्यायालय ने सुनवाई कर दोषी करार दिया था ।

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