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औरंगाबाद: DFO तेजस जायसवाल ने कहा- वन विभाग की विभिन्न योजनाओं का लोग इस तरह उठायें लाभ

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जे.पी. चन्द्रा की रिपोर्ट

बिहार नेशन: पर्यावरण का हमारे जीवन में कितना महत्व है यह सभी जानते और समझते हैं । यह है तभी लोगों का जीवन है। वहीं पर्यावरण कई मायनों में महत्वपूर्ण है।यह आपको शुद्ध वातावरण तो देता ही है लेकिन अगर आप चाहते हैं कि वृक्षों को लगाकर कमाई भी करें तो सरकार इसमें आपकी मदद भी कर रही है। वन विभाग इसके लिये कई योजनाएं चला रही है। ये योजनाएं लोगों के लिये वरदान साबित हो रही है। वन विभाग न केवल आपको कम कीमत पर पौधे उपलब्ध करा रही है बल्कि अगर आपने पौधों को बचा लिया तो इसपर अनुदान भी दिया जा रहा है।

इस संबंध में औरंगाबाद जिला के डिस्ट्रिक्ट फॉरेस्ट ऑफिसर तेजस जायसवाल ने बताया कि वन विभाग की कई योजनाओं से लोगों को फायदा मिल सकता है अगर वे लाभ लेना चाहें । साथ ही उन्होंने कहा की वन विभाग कोरोना संक्रमण के दौरान लॉकडाउन से आर्थिक स्थिति से जुझ रहे श्रमिकों को भी रोजगार दिया है। उन्होंने बताया कि वन विभाग रोजगार के नये अवसर भी सृजित कर रहा है। आर्थिक रूप से समृद्ध होने के लिए कोई भी व्यक्ति अपनी निजी भूमि पर इमारती लकड़ी और फलदार पौधे लगा सकता है। इसके लिए लाभुकों को प्रोत्साहित किया जा रहा है। यदि कोई व्यक्ति विभाग से पौधा खरीद कर वृक्षारोपण करना चाहे तो उसे 10 रुपये प्रति पौधे के हिसाब से भुगतान करना पड़ेगा। यह सुविधाएं चलंत गाड़ियों के द्वारा ग्रामीण एवं शहरी क्षेत्रों में उपलब्ध कराइ जा रही हैं।

डीएफओ ने बताया कि वन विभाग द्वारा वनों के संरक्षण एवं संवर्धन हेतु लगातार प्रयास किए जा रहे हैं। विभाग द्वारा लाभुकों को आम के आम गुठलियों के दाम के तर्ज पर पौधे उपलब्ध कराए जा रहे हैं। वे अपनी जमीन पर वन विभाग से पौधे खरीदकर लगा सकतें हैं। उक्त पौधे का सात गुना अधिक मूल्य तीन साल बाद वे प्राप्त कर सकते है। इसके लिए लाभुकों को महज 10 रुपए प्रति पौधे की दर से खरीदारी वन विभाग से करनी होगी। पौधे यदि तीन वर्ष तक सही सलामत रह जाते हैं, तो उसके बदले विभाग प्रति पौधे की दर से उन्हें 70 रुपए का अनुदान प्राप्त होगा। इस योजना के लाभ के लिए किसानों को आवेदन जमा करना होगा।

उन्होंने बताया कि इस मामले में वनरक्षक विभिन्न गांवों में जाकर लाभुकों से पौधारोपण की पेशकश के साथ ही योजना के बारे में विस्तार से जानकारी दे रहे हैं ताकि वे समय से पहले पौधारोपण के लिए अपनी कार्य योजना तैयार कर सकें। जिले की जीविका दीदियां स्वरोजगार के साथ-साथ लोगों को हरियाली का भी पाठ पढ़ा रहीं है। पौधा लगाने के साथ वे समाज के लोगों को पर्यावरण संरक्षण का काफी अच्छा संदेश दे रही हैं । वे अब निजी तौर पर नर्सरी की शुरूआत कर आर्थिक रूप से समृद्ध बन सकती हैं । उन्हें विभाग के द्वारा फलदार और इमारती लकड़ी देने वाले पौधे जैसे – सहजन, अमरूद, अनार और कुछ आम के पौधे दिये जा रहे हैं ।

डीएफओ ने बताया कि जिले में वन विभाग के द्वारा कुल 5 नर्सरिया अलग अलग स्थानों पर चलाई जा रही है. इनमें अद्री, कर्मा, मझियावा, उमगा एवं देउरा शामिल है। विभागीय वृक्षारोपण के अंतर्गत शीशम आंवला जामुन, सेमन पीपल बरगद जैसे वृक्षों को मिलाकर कुल 30 प्रजाति के पौधे लगाए जा रहे हैं। मनरेगा, जीविका, एनजीओ एवं अन्य संस्थानों द्वारा वृक्षारोपण किए जा रहे हैं। इसमें मूल रूप से फलदार और झायादार पौधे लगाए जाते हैं। इसी प्रकार कृषि वानिकी के तहत सागवान महोगनी और आंवला जैसे पौधों के वृक्षारोपण के लिए भी लोगों को प्रोत्साहित किया जा रहा है।

श्री जयसवाल ने बताया कि वन विभाग ने अपनी नर्सरियों में बरगद, सागवान, शीशम, कटहल, सहजन, सरिफा, अमरूद, सेमल, बांस, सरिफा, ईमली, कुसुम, मौलेसरी, मलेरिया साल, महोगनी, जामुन, अर्जुन, गम्हार, आंवला, पीपल, गोल्ड मोहर, बिजू आम, कदम, खैरा के पौधे लगा रखा है, जहां से यह उपलब्ध हो जाएगा। इस साल 6 लाख पौधे उपलब्ध कराए जाएंगे। वनों के विकास के लिए पौधारोपण के साथ-साथ उनकी सुरक्षा पर भी ध्यान दिया जाना आवश्यकता है। पौधों का जीवित रहने की दर बढ़ाने के लिए लगातार निगरानी की जरूरत पर बल देते हुए, लोगों को रोजगार प्राप्त हो रहा है। ऐसे विभाग रोजगार सृजन में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही है।

श्री जयसवाल ने बताया कि 187 वर्ग किलोमीटर में औरंगाबाद जिले का वन क्षेत्र फैला हुआ है। सघन वनों में वृद्धि सकारात्मक संकेत है। लेकिन जलवायु में हो रहे बदलाव को नियंत्रित करने के लिए सामान्य वनों पर भी विशेष ध्यान देने की आवश्यकता है। पेड़ों की कटाई रोककर ही जंगलों के घटते क्षेत्रफल को बचाया जा सकता है।

औरंगाबाद को ग्रीन जोन बनाने में जुटे जिला वन पदाधिकारी तेजस जयसवाल जिले को ग्रीन जोन बनाने में जुटे है।  डीएफओ बताते हैं कि समाज में जिस तेजी से बदलाव हो रहा है और पौधरोपण के लिए जमीन घटती जा रही है। उस दृष्टिकोण को ध्यान में रखते हुए बहु उपयोगी पौधों की ओर लोगों का ध्यान आकर्षित हो रहा है और इसी कार्य को विभाग भी तेजी से कर रहा है। ताकि बदलाव ठीक ढंग से हो सके। खास तौर पर ऐसे पौधे जिनका हर मायने में सदुपयोग नहीं हो रहा है उनके स्थान पर दूसरे पौधे लगाए जाने की योजना तैयार की जा रही है जिससे कि आने वाले दो माह में आमजन के सहयोग से अमलीजामा पहनाया जाएगा।

श्री जयसवाल बताते हैं कि वन के बिना जीवन की कल्पना नहीं की जा सकती। इसके बावजूद अपने देश में वनों के हालात बदतर होते जा रहे हैं जिस रफ्तार से विकास कार्यों में वनों का पतन हो रहा है, उसके सापेक्ष भरपाई नहीं हो रही है। देश की 33 प्रतिशत भूमि में वन होने चाहिए, मगर सरकारी आंकड़ों के अनुसार मात्र 23 प्रतिशत में ही वन हैं। वनों की अनदेखी अब ठीक नहीं है, हमारी विकासी रफ्तार विनाशी न हो जाए, इसके लिए युद्ध स्तर पर अधिक से अधिक पौधारोपण जरूरी है। उनका मानना है कि सफलता हमेशा बेहतर करने और आगे बढ़ने का संदेश देती है। हर किसी की सफलता की परिभाषा दूसरों से भिन्न है। इसलिए हर किसी की सफलता की व्याख्या अलग होती है।

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