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जे.पी.चन्द्रा की रिपोर्ट
बिहार नेशन: बिहार में सरकारी अस्पतालों में स्वास्थ्य की व्यवस्थाओं की क्या हालत है वह किसी से छिपी नहीं है। अस्पतालों में व्यवस्था के नाम पर केवल खानापूर्ति की जाती है। कुछ ऐसा ही हाल है औरंगाबाद जिले के सदर अस्पताल का। यहाँ सदर अस्पताल की व्यवस्था पूरी तरह से चरमरा गई है। यहाँ न तो मरीजों को दवा मिलती है और न उचित जांच की सुविधा । मजबूरी में लोगों को प्राइवेट अस्पतालों के क्लीनिक का चक्कर काटना पड़ता है।
सदर अस्पताल औरंगाबाद एवं अनुमंडलीय अस्पताल दाउदनगर में केवल गर्भवतियों का ही अल्ट्रासाउंड होता है। दोनों अस्पतालों में गंभीर मरीजों के पहुंचने के बाद भी अल्ट्रासाउंड नहीं होता है। सदर अस्पताल में मंगलवार को इलाज कराने पहुंचे एक मरीज ने बताया कि मेरे पेट में तीन महीने से दर्द है। चिकित्सक से दिखवाने के बाद अल्ट्रासाउंड कराने का सलाह दिया। जब मैं अल्ट्रासाउंड कराने गई तो बोला गया कि यहां नहीं होगा। बाहर में करवाना पड़ेगा।
कुछ इसी तरह की बात बारुण मुख्यालय निवासी एक मरीज ने भी बताया कि पेट में स्टोन की शिकायत है। मैंने पहले डेहरी में इलाज करवाया तो पता चला था। पैसा की कमी के कारण सरकारी अस्पताल में इलाज के लिए पहुंचा तो यहां बताया गया कि इस बीमारी का अल्ट्रासाउंड नहीं होता है। बाहर के क्लीनिक में करवाना पड़ेगा। सदर अस्पताल में अल्ट्रासाउंड कर रहे चिकित्सक डा. मुकेश कुमार की माने तो मशीन की क्षमता नहीं है कि गंभीर मरीज की जांच हो सके। मशीन की क्षमता केवल गर्भवती की जांच भर है।
दाउदनगर अस्पताल के प्रबंधक ठाकुर चंदन सिंह ने बताया कि यहां एक महिला विशेषज्ञ चिकित्सक को अल्ट्रासाउंड करने का प्रशिक्षण दिया गया है। इनको केवल गर्भवतियों का अल्ट्रासाउंड करने का प्रशिक्षण प्राप्त है। गंभीर बीमारी की जांच करने के लिए इन्हें प्रशिक्षण नहीं दिया गया है। यहां अस्पताल में एक भी रेडियोलाजिस्ट नहीं हैं।
बता दें कि दाउदनगर एवं सदर अस्पताल के अलावा एक भी पीएचसी व रेफरल अस्पताल में अल्ट्रासाउंड नहीं होता है। अस्पताल की बदहाल व्यवस्था की स्थिति यह है कि निजी क्लीनिक संचालक मालामाल हो रहे हैं। आर्थिक शोषण का शिकार हो रहे हैं। सरकारी अस्पताल में जांच नहीं होने के कारण मरीज मजबूरन निजी क्लिनिक में जाकर इलाज करवा रहे हैं।
कुछ इसी तरह का हाल मदनपुर प्रखंड के मदनपुर सरकारी पीएचसी का भी है। यहाँ न तो कोई जांच की सुविधा लोगों को सही से मिलती है और न गंभीर बीमारियों के इलाज के लिए मेडिकल व्यवस्था है। लोगों को मजबूर होकर प्राइवेट अस्पतालों में जाना पड़ता है। जहाँ लोगों को निजी नर्सिंग होम जमकर लूटने का कार्य करते हैं ।