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बिहार :सीएम नीतीश के पास अब क्या है विकल्प,जानें !

बिहार में राजनीतिक उथल-पुथल जारी है।जहाँ एक तरफ बिहार विधानसभा चुनाव में जदयू महज 43 सीटें जीत पाई फिर भी बीजेपी ने वादे के अनुसार मुख्यमंत्री बना दिया

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BIHAR NATION : बिहार में राजनीतिक उथल-पुथल जारी है।जहाँ एक तरफ बिहार विधानसभा चुनाव में जदयू महज 43 सीटें जीत पाई फिर भी बीजेपी ने वादे के अनुसार मुख्यमंत्री बना दिया । लेकिन कुर्सी पर काबिज होने के बावजूद भी नीतीश पर समझौता करके चलने का दवाब बना हुआ है। पहले वाली बात नहीं रही । नीतीश कुमार अब कोई भी कठोर फैसला अकेले लेने से रहे । बीजेपी ने अपनी पार्टी के नेता एवं उनके सबसे पुराने बिहार के मित्र सुशील मोदी को केंद्र में भेजकर साइड कर दिया । अब बीजेपी ने बिहार में गठबंधन का हिस्सा रहते हुए भी जोरदार झटका दे दिया जब अरुणाचल प्रदेश में भाजपा ने जदयू के ही छह विधायकों को तोड़ कर उन्हें भाजपा की सदस्यता दिलवा दी।इसे लेकर जदयू के वरिष्ठ नेता के. सी. त्यागी ने तल्ख बयान भी दिया और अटल बिहारी वाजपेयी से गठबंधन धर्म पालन करने की नसीहत भी दे डाली ।

लेकिन इनसब के बीच नीतीश कुमार ने भी पार्टी के राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में यह कहकर बीजेपी को कठोर संदेश दिया है कि वे मुख्यमंत्री तो बनना नहीं चाहते थें वे दवाब में बने हैं ।बीजेपी अपनी मुख्यमंत्री बनाती तो भी उन्हें कोई दिक्कत नहीं होती। दूसरी बात नीतीश कुमार ने अपने स्वजातीय आरसीपी सिंह को पार्टी का अध्यक्ष बनाकर अपने आप को बिहार की राजनीति में केंद्रित करने का प्रयास किया है। अब एनडीए में सहयोगियों के साथ खुलकर आरसीपी सिंह बात करेंगे। साथ ही पार्टी के अन्दर भी अनुशासन रखने का प्रयास किया गया है। क्योंकि आरसीपी सिंह पूर्व में एक प्रशासक रहे हैं जिसका लाभ भी नीतीश कुमार लेना चाहते हैं ।

लेकिन इनसब के बीच अब नीतीश कुमार के पास दो ही विकल्प बचते हैं, या तो वे मौकापरस्त बनकर अपने दल को तोड़ने वालों की हरकतों पर ध्यान न देते हुए मुख्यमंत्री बने रहें या दूसरा जिन सिद्धांतों और स्वाभिमान की बात वे करते रहे हैं, उसकी खातिर मुख्यमंत्री पद छोड़ दें। एक तीसरा विकल्प यह भी है कि महागठबंधन की ओर से उन्हें अनकहा संदेश भेजा जा चुका है, जिसे समझते हुए वे महागठबंधन में फिर से शामिल होकर राजद, कांग्रेस आदि के साथ सरकार बना लें और भाजपा को सत्ता से बाहर करें। बिहार में वे पहले ऐसा ही काम महागठबंधन में रहते हुए कर चुके हैं, इसलिए दोबारा ऐसा करने पर कोई आश्चर्य नहीं होगा। वैसे भी राजनीति संभावनाओं और अवसरों का ही खेल बन चुकी है। खैर नीतीश कुमार का अगला कदम क्या होगा कहना मुश्किल है। क्योंकि वे राजनीति के चाणक्य भी कहे जाते हैं

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