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जे.पी.चन्द्रा की रिपोर्ट
बिहार नेशन: बिहार में अब आम लोगों को चरित्र प्रमाणपत्र लेने में कोई दिक्कत नहीं होगी। अब इस प्रमाणपत्र को जारी करने में देर करनेवाले पदाधिकारियों के खिलाफ कड़ी कारवाई की जाएगी। इसके मॉनिटरिंग की जिम्मेवारी एससीआरबी के डीआईजी को दी गई है।एससीआरबी का मतलब स्टेट क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो।
इसके साथ ही पुलिस मुख्यालय ने इसे लेकर सभी जिलों को सख्त निर्देश भी जारी किया है। साथ ही थाना स्तर पर इस आदेश का पालन पूरी शिद्दत से करने के लिए कहा गया है। सूबे में चरित्र प्रमाण-पत्र की सेवा को आरटीपीएस (सेवा का अधिकार अधिनियम) में शामिल किया गया है। इसमें निर्धारित समयसीमा सात दिनों के अंदर आवेदक को प्रदान कर देना है। परंतु थाना समेत अन्य स्तर के पदाधिकारियों और कर्मियों की लापरवाही के कारण ये सूचनाएं समय पर नहीं मिल पाती हैं।
इस मसले के समाधान को लेकर गृह विभाग के अपर मुख्य सचिव चैतन्य प्रसाद, सचिव जितेंद्र श्रीवास्तव, विशेष सचिव विकास वैभव समेत अन्य अधिकारियों की एक विशेष समीक्षा बैठक हुई थी। इसके बाद सभी जिलों को यह निर्देश दिया गया कि वे चरित्र प्रमाण-पत्र जारी करने में देरी करने के लिए दोषी पदाधिकारियों या कर्मियों को चिन्हित करें और उनके खिलाफ कार्रवाई करें। साथ ही आरटीपीएस के नियमानुसार, इसके लिए दोषी पदाधिकारियों पर जुर्माना भी करें।
राज्य में अब तक चरित्र प्रमाण-पत्र बनवाने के लिए नौ लाख 57 हजार आवेदन प्राप्त हो चुके हैं, जिसमें करीब दो लाख 67 हजार लंबित हैं। सिर्फ इस वर्ष 2022 में अब तक छह लाख चार हजार 755 आवेदन ऑनलाइन आरटीपीएस पोर्टल के माध्यम से आये। इसमें दो लाख 29 हजार 500 आवेदन लंबित हैं। महज तीन को ही रिजेक्ट या रद्द किया गया और तीन लाख 75 हजार 221 आवेदनों का निपटारा करके उन्हें चरित्र प्रमाण-पत्र बनाकर प्रदान कर दिया गया है। सिर्फ इस वर्ष के आंकड़ों में ही एक-तिहाई आवेदन करीब लंबित पड़े हैं। लंबित मामलों का समय पर निपटारा करने के लिए ही यह व्यवस्था की गयी है।
आपको बता दें कि एससीआरबी के डीआईजी इसकी नियमित रूप से मॉनिटरिंग करेंगे। इसके साथ ही प्रत्येक जिले में इसके निरीक्षण के लिए एक एडीएम को नामित करने के लिए जल्द कहा गया है। ये जिला स्तर पर इसकी लगातार निगरानी करेंगे। मालूम हो कि अभी चरित्र प्रमाणपत्र बनवाने के लिए लोगों को काफ़ी परेशानियों से गुजरना पड़ता है। जबकि कई जगहों पर इसकी वेरिफिकेशन के लिए चढ़ावा भी लोगों को देना पड़ता है। इसमें काफी देरी भी होती है। जिसके कारण से कई बार छात्रों की वैकेन्सी या नौकरी तक हाथ से निकल गई है।