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जे.पी.चन्द्रा की रिपोर्ट
बिहार नेशन: पहली यूपीए शासनकाल के दौरान रेलवे में हुए भर्ती घोटाला के मामले में सीबीआई का शिकंजा अब लालू परिवार पर धीरे-धीरे कसता जा रहा है। इस मामले में बड़ी अपडेट है। सीबीआई अब तत्कालीन रेल मंत्री लालू प्रसाद, राबड़ी देवी , दो बेटियां मीसा भारती और हेमा यादव सहित कुल 16 लोगों से पूछताछ करेगी। बता दें कि शुक्रवार को इससे पहले सीबीआई ने लालू प्रसाद के 16 ठिकानों पर छापेमारी की थी।

छापेमारी के क्रम में जुटाए गए साक्ष्यों एवं तथ्यों की जांच होने के बाद नौकरी पाने वाले लोगों पर गाज गिर सकती है। इन सभी नौकरी पाने वालों को सीबीआई द्वारा दर्ज की गई प्राथमिकी में नामजद अभियुक्त बनाया गया है। जानकारी के मुताबिक जमीन देने के एवज में नौकरी पाने वाले 12 लोग सरकारी नौकरी से हटाए जा सकते हैं।
इनमें राजकुमार सिंह, मिथिलेश कुमार, अजय कुमार, संजय राय, धर्मेंद्र राय, विकास कुमार, पिंटू कुमार, दिलचंद कुमार, प्रेमचंद कुमार, लाल चंद कुमार (सभी महुआबाद, धनौत, पटना निवासी), ह्दयानंद चौधरी (इटवा, मीरगंज, गोपालगंज निवासी) व अभिषेक कुमार (बिंडौल, बिहटा, पटना निवासी) शामिल हैं। सीबीआई की दो दर्जन से अधिक अधिकारियों की टीम ने एक साथ महुआबाद, पटना और गोपालगंज में छापेमारी की थी और नौकरी पाने वालों एवं उनके परिजनों से घंटों पूछताछ की थी।
दरअसल बिहार में अपनी सरकार गिरने के बाद लालू प्रसाद यादव केंद्र के यूपीए-1 सरकार में रेलमंत्री बनाए गए थे। इस दौरान रेलवे में नौकरी के नाम पर बड़ा घोटाला हुआ था। अभ्यर्थियों से जमीन लेकर रेलवे में नौकरी दी गई। आरोप है कि इसमें लालू यादव व उनके परिवार के कई लोगों की संलिप्तता रही थी।
आपको बता दें कि इसके पहले रेल मंत्री व बंगाल की वर्तमान मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने भी वर्ष 2009 में इसकी जांच की मांग की थी। लेकिन लालू प्रसाद ने इन आरोपों को खारिज कर दिया था।

उस समय लालू प्रसाद के धुर राजनीतिक विरोधी बीजेपी नेता सुशील मोदी ने भी खूब इस मामले को उछाला था। और आरोप लगाया था कि लालू परिवार ने रसुख का दुरुपयोग करके भूखंड के बदले सैकड़ों नौकरियां दी हैं । अब इस मामले में सीबीआई ने जांच शुरू कर दी है।