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जे.पी.चन्द्रा की रिपोर्ट
बिहार नेशन: औरंगाबाद जिले में यूरिया खाद की किल्लत जारी है। वहीं इसे लेकर एक और खबर है। अभी भी किसानों को यूरिया खाद के लिए दो चार दिन का इंतजार करना पड़ेगा । यह यूरिया खाद 20-21 जनवरी तक आने की उम्मीद जताई जा रही है।
रबी फसल के लिए 31,840 मीट्रिक टन खाद की जरूरत थी। अब तक मात्र 16,203 एमटी यूरिया खाद की खेप पहुंची है। पिछले आठ दिनों से औरंगाबाद बिस्कोमान में खाद का वितरण नहीं हो रहा है। निकट में आने की उम्मीद भी नहीं है।
इस बारे में जिला कृषि पदाधिकारी रणवीर सिंह ने बताया कि तीन-चार दिनों बाद बिस्कोमान में 2200 मीट्रिक टन यूरिया खाद आने की उम्मीद है। दाउदनगर एवं हसपुरा में कुछ खाद बचे थे जिसका वितरण हो रहा है। राहत की बात यह है कि अनुग्रह नारायण रोड स्टेशन को डीएम सौरभ जोरवाल की पहल पर सरकार ने रैक प्वाइंट घोषित किया है। अब तक औरंगाबाद का खाद सासाराम रैक प्वाइंट से आता था। जहां से आने में दो दिनों का समय लगता था। यहां से जिले के पैक्स, व्यापार मंडल अध्यक्ष एवं दुकानदारों को खाद का वितरण किया जाएगा। आपूर्ति के अनुसार दुकानों को आवंटन दिया जा रहा है।
बारिश के कारण यूरिया खाद की मांग बढ़ी है। किसान खेतों में खाद डालने को बेचैन हैं परंतु उन्हें मिल नहीं रहा है। खाद के लिए कई दिनों से औरंगाबाद का दौड़ लगा रहे कर्मा भगवान के किसान नंदकिशोर मेहता, शिवनपुर के शशिशंकर सिंह एवं विद्यानंद सिंह ने बताया कि गेहूं एवं सरसों के खेत में खाद डालना जरूरी है। पिछले सोमवार से खाद के लिए दौड़ रहे हैं। बाजार में भी खाद नहीं मिल रहा है।
कृषि विज्ञान केंद्र सिरिस के वैज्ञानिक डा. नित्यानंद कुमार ने बताया कि दो दिन पहले हुई बारिश के कारण खेतों में नमी है। किसान खेतों में यूरिया खाद डाल सकते हैं। उन्होंने एक एकड़ में 50 किलोग्राम यूरिया खाद डालने की सलाह दी है। बताया कि किसान खर-पतवार के नियंत्रण के लिए सल्फोसल्फ्यूरान एवं मेटसल्फ्यूरान का प्रयोग 16 ग्राम प्रति एकड़ कर सकते हैं। इसे 150 से 200 लीटर पानी में घोल बनाकर बुआई से 30 से 35 दिन पर करें तो लाभ होगा। चना एवं मसूर के खेत में घास के नियंत्रण के लिए इमेजाथायपर 400 मिलीलीटर प्रति हेक्टर 600 लीटर पानी में घोल बनाकर करें। चना में बुवाई के 30-35 दिन बाद साग की खोटाई अवश्य करें।