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जानिए कर्मकांड मुकेश पाठक से कितने दिनों का है ये सावन माह और क्या है इसकी विशेषताएं

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जे.पी.चन्द्रा की रिपोर्ट

बिहार नेशन: आज से सावन मास की शुरूआत हो गई है। हिन्दू धर्म का पंचम महिना श्रावण है। श्रावण मास भगवान् शिव का प्रिय है। अर्थात् मासो में श्रावण मास अत्यंत प्रिय है। इसका महत्व सुनने योग्य है। इस मास में श्रवन नक्षत्र युक्त पूर्णिमा होती है। इस कारण भी इसे श्रावण कहा जाता है। इसके महात्मय के सुनने मात्र से सिद्धि की प्राप्त होती है।

इस बारे में औरंगाबाद जिले के मदनपुर प्रखंड के कर्मकांड मुकेश पाठक ने बताया कि इस बार 2023 में सावन का माह 4 जुलाई से शुरू होकर 31 अगस्त तक चलेगा। कुल मिलाकर सावन माह में 59 दिन होंगे। 18 जुलाई से 16 अगस्त तक सावन अधिक मास रहेगा । जिसे मलमास भी कहते हैं । इस अंतराल में नये भक्तों के लिए पुजा वर्जित है। उन्होंने एक श्लोक से इस सावन माह के महत्व को समझाया :

! ! अकाल मृत्यु हरणम, सर्व वयाधि विनाशनम! !

इसका अर्थ है कि श्रावण मास मे दीर्घायु की प्राप्ति के लिए तथा सभी व्याधियों को दूर करने के लिए विशेष पूजा की जाती है। मरकर्ण्डू रिषि के पुत्र मार्कण्डेय ने लंबी आयु के लिए श्रावण माह में ही घोर तप कर शिव की कृपा प्राप्त की थी। जिससे मिली मंत्र शक्तियों के सामने मृत्यु के देवता यमराज भी नतमस्तक हो गये थे।

कर्मकांड मुकेश पाठक ने इसके महत्व और पूजा के बारें में बताया कि-

1. सावन मास में मनुष्य को नियमपूर्वक भक्त भोजन करना चाहिए ।

2. सावन मास में सोमवार व्रत का अत्यधिक महत्व है।

3. सावन मास में भूमि पर शयन का विशेष महत्व है। ऐसा करने से मनुष्य कैलाश में निवास प्राप्त करता है।

4. शिव पुराण के अनुसार सावन में घी का दान पुष्टि दायक है।

5. उन्होंने बताया कि सावन मास में दस सामग्री खरीदने से अच्छे दिनों की शुरूआत होगी । जैसे-

त्रिशूल- त्रिशूल भगवान् शिव के हाथों में हमेशा रहता है। यह तीन देव और तीनों लोकों का प्रतीक है। अतः सावन मास में चांदी का त्रिशूल लेने से सालों भर आपदाओं से रक्षा होती है।

रूद्राक्ष- यह सुख, सौभाग्य और समृद्धि के लिए तथा मन की पवित्रता के लिए असली रूद्राक्ष को घर में लाए या फिर घर में रखें या उसे धारण भी कर सकते हैं।

डमरू- यह शिव का पवित्र वाद्य यंत्र है। इसकी पवित्र ध्वनि से आसपास से सभी नकारात्मक शक्तियाँ दूर भाग जाती है।

चांदी की नंदी– नंदी भगवान् शिव का गण और वाहन भी है। यह आर्थिक संकटों से मुक्ति दिलाता है।

जलपात्र- जल भगवान् भोलेनाथ को अत्यंत प्रिय है। इसका प्रयोग भी धन के आगवन के लिए सबसे अधिक प्रभावी है।

सर्प– भगवान् शिव के गले में सर्पराज ( नाग-नागिन) हर समय रहते है। इसे घर लाने से पितृ दोष और काल सर्प योग में राहत देता है।

भष्म- किसी भी शिव मंदिर से भष्म लाकर चांदी के डब्बे में या तिजोरी में रखें । यह बरकत के लिए अचूक प्रयोग है।

चांदी का कड़ा- भगवान् शिव अपने पैरों में चांदी का कड़ा धारण करते हैं । इसके प्रयोग से किसी भी यात्रा के शुभ योग बनता है।

चांदी का चंद्र या मोती- भगवान् शिव के मस्तक पर चंद्रमा विराजित है। इसके धारण करने से चंद्र ग्रह की शांति होती है। साथ ही मन भी मजबूत होता है।

चांदी का बिल्वपत्र- हम सभी भक्त पुरे सावन माह में शिवजी को बिल्वपत्र अर्पित करते हैं लेकिन कई बार शुद्ध अखंडित बिल्वपत्र मिलना संभव नहीं होता है ऐसे में चांदी का महिन बिल्वपत्र लाकर उसे प्रतिदिन भगवान् शिव को अर्पित करने से करोड़ों पापों का नाश होता है और घर में शुभ कार्यों का संयोग बनता है।

रूद्राभिषेक– सावन माह में घर में , शिवालय में और मंदिर में प्रतिदिन रूद्राभिषेक करने से हर तरह के मनोकामना की पूर्ति होती है।

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