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नीतीश सरकार मान चुकी है कि अब नहीं हो सकते हैं पंचायत चुनाव,ऐसे में इन विकल्पों पर हो रहा है विचार,पढ़े ये विशेष रिपोर्ट  

अब बिहार में पंचायत चुनाव के मात्र गिने-चुने दिन रह गये हैं. ऐसे में पुरी तरह से यह मान लिया गया है कि अब पंचायत के चुनाव नहीं होंगे. पंचायत प्रतिनिधियों का कार्यकाल भी अगले महीने की 15 जून को खत्म हो रहा है.

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जे.पी.चन्द्रा की एक्सक्लूसिव रिपोर्ट

बिहार नेशन: अब बिहार में पंचायत चुनाव के मात्र गिने-चुने दिन रह गये हैं. ऐसे में पुरी तरह से यह मान लिया गया है कि अब पंचायत के चुनाव नहीं होंगे. पंचायत प्रतिनिधियों का कार्यकाल भी अगले महीने की 15 जून को खत्म हो रहा है. पहले से ऐसी संभावना लगाई जा रही थी कि अगर कोरोना का संक्रमण खत्म हो जाएगा  तो पंचायत चुनाव निर्धरित समय पर करवा लिया जाएगा. लेकिन कोरोना की रफ़्तार बढती गई.  फिर तो कोरोना की दुसरी लहर इतनी भयावह तरीके से फ़ैली की परिणाम आपके सामने है. सारी स्वास्थ्य व्यवस्थाओं की पोल भी खुल गई और हजारों लोगों की मौत हुई.

वहीं अब नीतीश सरकार भी दुसरी तरफ मान चुकी है कि समय पर पंचायत चुनाव कराना संभव नहीं है. ऐसे पंचायती राज सभी विकल्पों  पर विचार करने लगी है ताकी पंचायतों के विकास कार्य प्रभावित न हों. लेकिन विकल्पों पर जैसे ही नीतीश कुमार की मुहर लग जाएगा विभाग उसे तत्काल लागू कर देगा. हालांकि पंचायत चुनाव टालने को लेकर राज्य निर्वाचन आयोग की तरफ से कोई आधिकारिक सूचना अभी नहीं आई है.

मामला दरअसल यहाँ फंस रहा है कि कोरोना संक्रमण के बीच समय पर  चुनाव  कराना संभव नहीं है. ऐसे में बिहार सरकार के पास पंचायती राज अधिनियम 2006 में इस बात का कोई जिक्र नहीं किया गया है कि ऐसी  स्थिती में पंचायतों का कार्यभार कौन संभालेगा. इसी से संवैधानिक संकट उत्पन्न हो रहा है. ऐसी स्थिती में सरकार के पास दो विकल्प हैं. या तो वह इसे विधानसभा का विशेष सत्र बुलवाकर बिल पारित करे या फिर वह अध्यादेश लाए. लेकिन अभी जो मौजूदा स्थिती है उसमें विधानसभा सत्र बुलाना मुश्किल है.

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ऐसे में यह बात निकलकर आ रही है कि या तो पंचायतों के विकास कार्य प्रशासनिक अधिकारियों को सौप दिए जाए ,जिसमें बीडीओ और डीडीसी की प्रमुख भूमिका होगी. इस तरह की व्यवस्था पड़ोसी राज्य उतर प्रदेश में लागू की गई थी. पंचायत चुनाव समय पर नहीं होने के कारण प्रशासक नियुक्त किये गए थे. इन्हीं के देख रेख में सारा काम होगा . तो वहीं दुसरी तरफ तेजस्वी यादव ने इस विकल्प पर विचार करने को कहा है कि पंचायत प्रतिनिधियों के कार्यकाल को विस्तारित कर दिया जाए. बता दे कि  नेता प्रतिपक्ष तेजस्‍वी यादव ने कहा था, ‘सरकार से हमारी मांग है कि कोरोना महामारी के मद्देनजर राज्य में पंचायत चुनाव स्थगित होने के कारण आगामी चुनाव तक त्रिस्तरीय पंचायती प्रतिनिधियों का वैकल्पिक तौर पर कार्यकाल विस्तारित किया जाए, जिससे कि पंचायत स्तर पर कोरोना प्रबंधन के साथ-साथ विकास कार्यों का बेहतर समन्वय के साथ क्रियान्वयन हो सके.’ तेजस्वी जिस व्यवस्था की मांग कर रहे हैं वह बिहार के पड़ोसी राज्य झारखंड में लागू किया गया है. इसके तहत प्रबंध समितियों का गठन किया गया है. अब पंचायती राज विभाग इन दोनों विकल्पों पर विचार कर रहा है.

 

 

 

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