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तेजप्रताप का पिता लालू से अपनी तुलना और तेजस्वी पर चुटकी के क्या हैं राजनीतिक मायने,जानें
तेजप्रताप यादव ने भाषण की शुरुआत करते ही लोगों से कहा कि मैं भी लालू जी की तरह ही लोगों का मनोरंजन भी करता हूं.
जे.पी.चन्द्रा जी रिपोर्ट
बिहार नेशन: आज राजद ने अपना 25 वां स्थापना दिवस पार्टी का मनाया. इस मौके पर पार्टी के संस्थापक लालू प्रसाद सहित तमाम पार्टी के वरिष्ठ नेताओं ने अपनी बात रखी.लेकिन इसमें चर्चा का विषय रहा तो वह था लालू प्रसाद के बड़े पुत्र तेजप्रताप यादव का सम्बोधन . तेजप्रताप यादव ने आज अपनी बात रखते हुए एक साथ कई सन्देश दे दिया. उन्होंने अपनी तुलना पिता लालू प्रसाद यादव से करते हुए कहा कि वे उनके ही जैसे छवि के नेता हैं. उनमें भी लालू प्रसाद यादव के जैसे ही गुण हैं. उन्होंने भाषण के दौरान कई नेताओं को भी लपेटे में लिया और अपने अंदाज में सावधान भी किया.
लालू के बड़े पुत्र तेजप्रताप यादव ने भाषण की शुरुआत करते ही लोगों से कहा कि मैं भी लालू जी की तरह ही लोगों का मनोरंजन भी करता हूं. लालू प्रसाद यादव ने अपने राजनीति जीवन की शुरुआत छात्र राजनीति से की. तो मैंने भी उसी बीएन कॉलेज में एडमिशन लिया, जहां पिताजी पढ़ते थे. मैं उसी बेंच पर बैठता था, जहां पिता बैठा करते थे. तेजप्रताप ने कहा कि मैं आरजेडी में रहकर छात्र संगठन को मजबूत कर रहा हूं. लालू जी के बोलने पर लोग जैसे हंसते थे, मेरे बोलने पर भी कुछ लोग हंसते हैं.
तेजप्रताप यादव अपने संबोधन के जरिये यह बताने का प्रयास कर रहे थे कि लालू की असली छवि मेरे में ही है. साथ ही तेजस्वी पर चुटकी लेते हुए तेजप्रताप यादव ने कहा कि मुझे पूजा करने में थोड़ी देर हुई, जिसके कारण आरजेडी कार्यालय देर से पहुंचा तो देखा तेजस्वी ने पहले ही मंच सभाल रखा है. हालांकि साथ में तेजप्रताप ने यह भी कहा कि तेजस्वी अर्जुन है और अर्जुन को कुछ न हो इसके लिए कृष्ण हमेशा साथ रहे. मैं भी तेजस्वी के साथ कृष्ण की तरह हमेशा खड़ा हूं.
तेजप्रताप यादव ने पार्टी के अधिकारियों को भी अपने अंदाज में खूब हड़काया. उन्होंने एक वाकया का जिक्र करते हुए कहा कि मार्च में हमलोगों के ऊपर प्रदर्शन के दौरान लाठीचार्ज हुआ वह महाभारत के युद्ध जैसा था. हमलोगों पर पत्थर फेंके जा रहे थे. मैं तेजस्वी को बचाने के लिए आगे जाना चाहता था, पर लोगों ने पीछे से खींच लिया. ये लोगों को डर है कि तेजप्रताप कहीं हीरो न बन जाए. इस दौरान प्रदेश अध्यक्ष जगदानंद सिंह पर भी उन्होंने तंज कसते हुए कहा कि बोलूंगा तो वे कहीं बुरा न मान जाएं.
तेजप्रताप यादव ने महिलाओं के नीचे बैठने पर कहा कि उन्हें ऊपर बैठना चाहिए था. महिलाओं को मंच पर जगह मिलनी चाहये. उन्होंने कहा कि जब तेजस्वी दिल्ली होते हैं तो विपक्ष को उनकी तरफ मैं ही जवाब देता हूँ और जब मैं मथुरा-वृन्दावन में होता हूँ तो वे मोर्चा संभालते हैं.
लेकिन इस मामले में अगर देखा जाय तो एक बात स्पष्ट दिखाई देती है कि तेजप्रताप यादव लालू प्रसाद के असली वारिस के तौर पर अपने को दिखाना चाहते हैं लेकिन लालू प्रसाद यादव तेजस्वी यादव को अपना वारिस घोषित कर चुके हैं. यह बात विधानसभा चुनाव के दौरान तेजस्वी साबित भी कर चुके हैं.