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औरंगाबाद: मनरेगा योजना लाभार्थियों के लिए हो रहा है संजीवनी साबित, लोगों को घर बैठे मिल रहा काम एवं निर्धारित मजदूरी

प्रवासी एवं स्थानीय मजदूर के लिए  संजीवनी साबित हो रहे मनरेगा के तहत सदर प्रखंड के ग्राम पंचायत फेसर इब्राहिमपुर, खैरा मिर्जा, मंझार, बेला, कुर्हमा मे जॉब कार्ड दिवस का आयोजन किया गया है।

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बिहार नेशन: प्रवासी एवं स्थानीय मजदूर के लिए  संजीवनी साबित हो रहे मनरेगा के तहत सदर प्रखंड के ग्राम पंचायत फेसर इब्राहिमपुर, खैरा मिर्जा, मंझार, बेला, कुर्हमा मे जॉब कार्ड दिवस का आयोजन किया गया । इस अवसर पर वैसे प्रवासी एवं स्थानीय मजदूर जो मनरेगा के तहत कार्य करने को इच्छुक हैं उन सभी लोगों का जॉब कार्ड बनाया गया हैं। यह कार्यक्रम सदर प्रखंड के कार्यक्रम पदाधिकारी कुमार शैलेंद्र के नेतृत्व में किया गया। उन्होंने बताया की उप विकास आयुक्त अंशुल कुमार के निर्देशानुसार औरंगाबाद जिले के सदर प्रखंड के विभिन्न पंचायतों में जॉब कार्ड शिविर लगाने का निर्देश दिया गया हैं। उक्त निर्देश के आलोक में ही शुक्रवार को सदर प्रखंड के विभिन्न पंचायतों मे लाभार्थियों के लिए जॉब कार्ड शिविर का आयोजन किया गया।

कार्यक्रम पदाधिकारी शैलेंद्र ने बताया कि जॉब कार्ड का मुख्य उद्देश्य प्रवासी मजदूर एवं ग्रामीणों का पलायन रोकने और उन्हें गाँव में ही रोजगार मुहैया कराना है। श्री शैलेंद्र ने बताया कि मनरेगा के लागू होने के बाद पंचायती राज व्यवस्था काफी सुदृढ़ हुई है। सबसे ज्यादा फायदा यह हुआ है कि ग्रामीणों का पलायन रुका है। लोगों को घर बैठे काम मिल रहा है और निर्धारित मजदूरी भी। मजदूरों में इस बात की खुशी हैं कि उन्हें काम के साथ ही सम्मान भी मिला है। कार्यस्थल पर उनकी आधारभूत जरूरतों का भी ध्यान रखा गया। अब गाँव के हर नागरिक की जुबां पर मनरेगा का नाम सुनने में आया है। उन्हें विश्वास है कि मनरेगा के जरिए वे कम से कम दो वक्त की रोटी का इन्तजाम जरूर कर सकते हैं। उन्हें यह कहते हुए खुशी होती है कि अब गाँव-शहर एक साथ चलेगा।

 

आगे कार्यक्रम पदाधिकारी  ने बताया कि सरकार ने इस दिशा में दो कदम आगे बढ़ते हुए हर व्यक्ति को रोजगार मुहैया कराने की चुनौती स्वीकार की है। इसके तहत ग्रामीण विकास मन्त्रालय की ओर से पहली प्राथमिकता ग्रामीण क्षेत्र का विकास और ग्रामीण भारत से गरीबी और भुखमरी हटाना है। ग्रामीण क्षेत्रों में गांव और शहर के अन्तराल को पाटने, खाद्य सुरक्षा प्रदान करने और जनता को मूलभूत सुविधाएं उपलब्ध कराने के लिए सामाजिक और आर्थिक आधार पर लोगों को सुदृढ़ करना जरूरी है। इसलिए सरकार की ओर से एक नयी पहल की गई है ।

उन्होंने बताया कि सभी मजदूरों से मनरेगा अंतर्गत सभी प्रकार के कार्य जैसे,, आहर पोखर सड़क वृचारोपण एवं निर्माण के अन्य कार्य कराए जायेंगे। जहां पुरुषों को 66 मन मिट्टी एवं महिला मजदूरों को 57 मन मिट्टी की कटाई पर मजदूरी स्वरूप 194 रुपए भारतीयों के सीधे खाते में चले जाते हैं। मौके पर फेसर पंचायत मुखिया प्रतिनिधि राकेश कुमार गुप्ता, पंचायत रोजगार सेवक विनोद कुमार, करण कुमार, जितेन्द्र कुमार, संतोष कुमार, मनौवर अंसारी सहित अन्य लोग उपस्थित थे।

वहीं उन्होंने बताया कि मजदूरी का भुगतान साप्ताहिक आधार पर किया जाता है। किसी भी काम के लिए अधिकतम 15 दिन के भीतर मजदूरी भुगतान करना अनिवार्य है। नियोजक और क्रियान्वयन में पंचायती राज संस्थाओं की केन्द्रीय भूमिका है। अधिनियम में पहले यह व्यवस्था दी गई थी कि काम शुरू होते वक्त मजदूरों की संख्या कम से कम 50 होनी चाहिए, लेकिन अब इसे परिवर्तित कर 10 कर दिया गया है। मजदूरी का भुगतान मेट की ओर से तैयार की गई मास्टर रोल के हिसाब से किया जाएगा। इसके लिए जॉब कार्डधारी का पोस्ट ऑफिस अथवा बैंक में खाता खोला गया है।

जबकि इस अधिनियम के तहत कार्यस्थल पर श्रमिकों को सुविधाएं देने का प्रावधान किया गया है। यदि कार्यस्थल पर कोई भी श्रमिक घायल हो जाता है तो उसके इलाज के लिए फर्स्ट एड रखा रहेगा। यदि किसी श्रमिक की मौत हो जाती है अथवा वह स्थायी तौर पर विकलांग हो जाता है तो उसे मुआवजा दिया जाएगा। घायल मजदूर का इलाज कराने की जिम्मेदारी सरकार की होगी। कार्य के दौरान मौत होने पर 25 हजार रुपये अनुग्रह राशि दी जाएगी। स्थायी तौर पर विकलांग होने वाले को भी 25 हजार रुपये दिए जाते हैं।

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