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औरंगाबाद: लॉकडाउन में मनरेगा बना मजदूरों का सहारा, सैकड़ों प्रवासी एवं इच्छुक मजदूरों को मिल रहा है रोजगार

एक तरफ कोरोना काल में जहां लोगों की आर्थिक स्थिति कमजोर हो रहे हैं वहीं औरंगाबाद सदर प्रखंड के ओरा ग्राम पंचायत के यारी गांव में ग्रामीणों को महात्मा गांधी रोजगार गारंटी योजना से हितग्राही मूलक एवं सामुदायिक कार्यो में रोजगार प्राप्त हो रहा है।

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बिहार नेशन : एक तरफ कोरोना काल में जहां लोगों की आर्थिक स्थिति कमजोर हो रहे हैं वहीं औरंगाबाद सदर प्रखंड के ओरा ग्राम पंचायत के यारी गांव में ग्रामीणों को महात्मा गांधी रोजगार गारंटी योजना से हितग्राही मूलक एवं सामुदायिक कार्यो में रोजगार प्राप्त हो रहा है। इस प्रकार लॉकडाउन में मनरेगा के कार्य ग्रामीण मजदूरों के लिए संजीविनी का कार्य कर रही है। यारी गांव में लगभग 400 से अधिक मजदूरों को आहार जीर्णोद्धार से रोजगार प्राप्त हो रहा है।

गौरतलब है इस लॉकडाउन में घर वापस आए प्रवासी मजदूर एवं दैनिक मजदूरों को काम धंधे बंद होने से इन्हें काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा था। काम धंधे नहीं मिलने से कई मजदूरों की स्थिति काफी विकट हो गई थी। कई मजदूरों के घरों में खाने के भी लाले पड़ने लगे थे। लेकिन अब मनरेगा का कार्य शुरू होने से मजदूरों की अर्थव्यवस्था पटरी पर लौट चुकी है। यारी गांव में आहर जीर्णोद्धार का कार्य विगत लगभग 1 माह से चल रहा है। इससे काफी मजदूर राहत की सांस ले रहे हैं।

औरंगाबाद जिले के सदर प्रखंड जिला कार्यकम पदाधिकारी कुमार शैलेन्द्र ने बताया कि सरकार के दिशा-निर्देशों के अनुसार मनरेगा का कार्यक्रम ओरा ग्राम पंचायत के यारी गांव में आहर जीर्णोद्धार का कार्य पिछले 4 दिनों से किया जा रहा है। इस कार्य में वैसे मजदूर लगे हुए हैं जो लॉकडाउन में बेरोजगार घर बैठे थे या फिर इच्छुक मजदूर इस कार्य में अपनी भूमिका निभाकर परिवार के भरण-पोषण का माध्यम बन रहे हैं। श्री शैलेंद्र ने बताया कि एक पुरुष मजदुर को 80 घन फूट मिटी काटने पर जहां उसें 198 रुपये प्राप्त हो रहे है, वहीं एक महिला को 68  घन फूट मिट्टी काटने पर 198 रुपये उनके खातों में उन्हें प्राप्त होते है। श्री शैलेंद्र ने बताया कि अब ग्राम पंचायत ओरा के हर हाथ को रोजगार मिला है। इस आहर को जीर्णोद्धार कर  5 फीट उंचा जबकि 10 फिट चौड़ा किया जा रहा है। ताकि अधिक से अधिक जल संचय हो सके। श्री शैलेंद्र ने बताया कि हमारी एवं सरकार की कोशिश है कि अधिकाधिक लोगों को मनरेगा कार्य से जोड़कर उनके आर्थिक स्थिति को मजबूत किया जाए। श्री शैलेंद्र ने बताया कि केंद्र सरकार ने अपने निर्देश में मनरेगा कार्यस्थल पर मजदूरों को मास्क पहने एवं फेसकवर पहनना अनिवार्य कर दिया है। यही नहीं, श्रमिकों को हाथ धोने एवं स्वच्छ पेयजल की व्यवस्था भी सुनिश्चित कराने को कहा है जिसके आलोक में सभी नियमों को पालन करते हुए कार्य किया जा रहा है।

पंचायत रोजगार सेवक अमित कुमार ने बताया कि कोरोना के कारण मनरेगा के तहत काम में बहुत बदलाव आया है। अब उन्हीं कार्यों को कराया जा रहा है जिससे सोशल डिस्टेंसिंग को मेंटेंन रखा जा सके।  कोरोना महामारी के कारण 80 फीसदी तक लोग अपने घर वापस लौट चुके हैं। ऐसे में उनकी दैनिक समस्याओं को देखते हुए मनरेगा जॉब कार्ड के तहत यारी गांव में आहर पिण्ड निर्माण कार्य किया जा रहा है जिसका मुख्य उदेश्य वृहद पैमाने पर जल संरक्षण एवं जल संर्वधन करना है। इसी क्रम में यारी गांव के लोगों को सिचाई संबधि समस्याओं से निपटने के लिए हमारी कोशिश है कि मनरेगा के मजदूरों को ससमय उनके कार्यों का भूगतान हो सके, ताकि इस लॉकडाउन में तथा कथित रूप से उनकी जो भी मूलभूत आवश्यकताएं हैं उसे वे पूर्ति कर सके।

इधर लाभुक पुरनपत राम एवं संतोष राम ने बताया कि इस लॉकडाउन में कल्याणकारी योजनना मनरेगा के तहत जो हमें रोजगर प्राप्त हो रहा है वह हमें आर्थिक दृष्टिकोण से काफ़ी अच्छा है। यदि आज यह रोजगार हमें प्राप्त नहीं होता तो हमें अपने परिवार का भरण पोषण करना मुश्किल हो जाता। यह जीवन की अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने के उम्मीद की किरण बन कर उभरी है।  इस मौके पर मुखिया सहित सैकड़ों मजदूर उपस्थित थे।

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